मध्यप्रदेश में लगातार 20 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है,
कांग्रेस पार्टी के 15 महीने निकाल दिया जाए तो
लगभग साढ़े 18 वर्ष से भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में राज्य कर रही है।
वर्ष 2023 के चुनाव में भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का असर सीधे और साफ तौर पर दिख रहा है।
भाजपा द्वारा कराए गए सर्वे में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है सरकार बनती नहीं दिखाई दे रही।
मध्य प्रदेश में भाजपा अब गुजरात फार्मूले पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है,
पार्टी द्वारा एक के बाद एक लगातार तीन सर्वे कराया गया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रीवा जिले की 8 विधानसभा में से
चार वर्तमान विधायक का टिकट कटना लगभग तय माना जा रहा।
उसमें से एक सीट नवीन जिला मऊगंज विधानसभा की है।
जिला बनने पर भी मऊगंज विधायक ने नहीं जीत पाया जनता का भरोसा।
मऊगंज विधानसभा में क्षेत्रीय और बाहरी नेता का मुद्दा भी पकड़ रहा जोर
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भाजपा द्वारा कराए गए तीसरे सर्वे में भी
विधायक प्रदीप पटेल पर जनता ने नहीं जताया भरोसा।
भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं का बहिष्कार मऊगंज विधायक के टिकट पर भारी पड़ता दिखाई दे रहा है।
वर्ष 2018 में भाजपा के कार्यकर्ता और संगठन की मेहनत की बदौलत
एअरलिफ्ट के माध्यम से बाहर से आए हुए भाजपा प्रत्याशी प्रदीप पटेल को जीत मिली थी।
और मऊगंज के इतिहास में कई पंचवर्षीय बाद कमल खिला था।
पार्टी से उपेक्षित कार्यकर्ताओं का कहना है की मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल पार्टी की जीत को दरकिनार करते हुए,
अपनी इस जीत का श्रेय जातीय समीकरण मान बैठे।
अपनी इस जीत से गदगद विधायक प्रदीप पटेल द्वारा भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं का बहिष्कार करना प्रारंभ कर दिया गया।
इसकी शुरुआत वर्ष 2019 -20 हुए मंडल अध्यक्ष के चुनाव को लेकर हुई
जहां पर मंडल अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर कई पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने भी
मंडल अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी प्रस्तुत की थी।
लेकिन वर्तमान विधायक की मंशा अनुसार पार्टी के नए कार्यकर्ता राजेश वर्मा को मंडल अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया।
पार्टी से उपेक्षित करता कार्यकर्ताओं का कहना था कि राजेश वर्मा वर्ष 2018 के चुनाव में
बीएसपी समर्थित नेता का प्रचार में थे। मऊगंज विधायक जब बीएसपी पार्टी में थे,
तब विधायक प्रदीप पटेल और राजेश वर्मा जी के घनिष्ठा और प्रगाढ़ संबंध थे।
जिसके उपहार स्वरूप भारतीय जनता पार्टी में मंडल अध्यक्ष के पद पर बैठाया गया।
वैसे इस चुनाव में वोटिंग प्रक्रिया रही लेकिन किस प्रत्याशी को कितने मत प्राप्त हुए
इसका खुलासा नहीं किया गया था सिर्फ जीत की घोषणा की गई कर दी गई।
यहीं से वर्तमान विधायक प्रदीप पटेल द्वारा पहली बार पुराने कार्यकर्ताओं को साइड लगाने का काम प्रारंभ हुआ।
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और अंततः पार्टी में बीते चार साल में वही हुआ जो विधायक प्रदीप पटेल ने चाहा,
अपनी इस जीत से गदगद विधायक ने कभी संगठन के पदाधिकारियों को भी तवज्जो नहीं दी।
नाम न लिखने की शर्त पर संगठन के एक पदाधिकारी ने कहा कि
बीते साढ़े चार वर्ष में विधायक की जातीय राजनीति की वजह से कई बार आम जनमानस और
समाज के बीच खड़े किए गए सवाल पर निरुत्तर होते हुए शर्मिंदगी का दंश झेलना पड़ा है।
संगठन की पहली पसंद बने भाजपा नेता मृगेंद्र सिंह
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और संगठन द्वारा भाजपा नेता मृगेंद्र सिंह को लगातार क्षेत्र में सक्रिय रह कर
पार्टी की उपलब्धियां और जनकल्याणकारी योजनाओं को सर्वहारा समाज तक पहुंचाने का मिला निर्देश।
ज्ञात हो कि भाजपा नेता मृगेंद्र सिंह सहज सरल छवि के बेदाग और
क्षेत्रीय चेहरा है और क्षेत्र में काफी लोकप्रिय भी है।
भाजपा नेता मृगेंद्र सिंह को पार्टी के उपेक्षित कार्यकर्ताओं का भी समर्थन मिल रहा है।