जिले के विधानसभा क्षेत्र देवतालाब 72 में विगत 35 वर्षों से कांग्रेस पार्टी का बुरा हाल है,
अगर बीते चुनावों पर नजर डालें तो देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक ऐरा प्रथा हावी रही है,
राष्ट्रीय दलों ने कभी भी स्थानीय नेताओं को तवज्जो न देकर बाहरी उम्मीदवारों को प्रत्याशी बनाया है।
और चुनाव लड़ा है कुल मिलाकर देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में बाहरी प्रत्याशियों का दबदबा रहा है
वर्तमान विधायक गिरीश गौतम भी मनगवां विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं और
कांग्रेस पार्टी के अधिकांश टिकट के दावेदार इस बार भी देवतालाब विधानसभा क्षेत्र के बाहर के बताए गए हैं।
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ऐसे में विधानसभा चुनाव 2023 में बाहरी प्रत्याशियों के खिलाफ वातावरण इस बार जनता में बना हुआ है,
भाजपा के गिरीश गौतम पुराने कद्दावर नेता हैं।
उनकी राजनैतिक काबिलियत को देखते हुए जनता ने बाहरी उम्मीदवार होने के बाद भी
कांग्रेस बसपा को लताड़ते हुए जनता ने चुनाव जिता दिया था,
भले ही चुनाव जीतने के नजदीकी मामले रहे हों भाजपा की तरफ से इस बार भी वर्तमान विधायक और
मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम टिकट के दावेदार है,
तो वहीं उनके भतीजे विवेक गौतम का भी कहीं कहीं नाम आता रहता रहता है।
भाजपा में टिकट को लेकर कोई जद्दोजहद की स्थिति नहीं दिखाई देती है
तो लेकिन प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी में एक अनार दर्जनों बीमार के हालात नजर आ रहे है,
और सबसे बड़ी बात तो यह है कि जो कांग्रेस के नेता 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी में रहते
कांग्रेस पार्टी को डुबोने का काम किए है वही टिकट के लाइन में कतार लगाकर खड़े नजर आ रहे है।
जिनमें कुछ नेता बाहरी तो कुछ स्थानीय भी है।
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2018 और 2013 के विधानसभा चुनाव विश्लेषण।
2023 के विधानसभा चुनाव के विश्लेशण के पूर्व 2013 एवं 2018 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालना,
उचित एवं न्याय संगत होगा, 2018 के चुनाव में कुल 217160 मतदाताओं में
135568 मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया यानी 62.43% मतदान देवतालाब में पड़ा,
जिसमें भाजपा प्रत्याशी गिरीश गौतम को45043 मत यानी 33.23 %, मिले,
उनके निकटतम प्रतिद्वंदी बीएसपी उम्मीदवार सीमा जयवीर सिंह को 43963 मत यानी 32.4 3% मत मिला,
वहीं कांग्रेस प्रत्याशी विद्यावती पटेल को 30383 मत के साथ 22.41% मतदाताओं ने मतदान किया।
कुल 62.43 % मत देवतालाब में पड़ा,
वही 2013 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी गिरीश गौतम को 36495 मत के साथ 29.9% वोट मिला।
वहीं बीएसपी प्रत्याशी विद्यावती पटेल को 32610 मत प्राप्त के साथ 26.72 %,
कांग्रेस उम्मीदवार उदय प्रकाश मिश्रा 30022 मत पाकर 24.59% वोट प्राप्त किए।
2013 में देवतालाब में कुल 197790 मतदाता थे जिसमें 122066 मत के साथ
एक 61.71% मतदाताओं ने मताधिकार में हिस्सा लिया।
2013 में बीएसपी प्रत्याशी विद्यावती पटेल को कांग्रेस ने 2018 में उम्मीदवार बनाया
विद्यावती पटेल का वोट प्रतिशत कांग्रेस के 2013 के मुकाबले मे लगभग 2 %की कटौती हुई,
वही गिरीश गौतम भाजपा प्रत्याशी का 2013 के मुकाबले 2018 में
लगभग 4 परसेंट बोट की बढ़ोतरी हुई और बीएसपी प्रत्याशी को 2013 के मुकाबले में
2018 में तीन परसेंट के बोट का इजाफा हुआ था।
भाजपा कांग्रेस में फर्क
लगातार चुनाव जीत रहे भाजपा नेता गिरीश गौतम की वरिष्ठता काबिलियत और
जातीय समीकरण उन्हें जीत दिलाता रहा है,
भले ही देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में कुछ खास स्थिति उनके पक्ष में नहीं है।
जानकारों का मानना है कि कांग्रेस की गलती से गिरीश गौतम लगातार चुनाव जीतने में सफल हुए हैं।
और कांग्रेस के वोट प्रतिशत गिरने की जो मुख्य वजह रही उसमें कांग्रेस के वही नेता जिम्मेदार है,
जो टिकट नहीं मिलने पर विभीषण बनकर कांग्रेस के उम्मीदवार को हराने का काम किए हैं।
बाहरी और दलबदलुओं को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाना कांग्रेस पार्टी के लिए घातक सिद्ध होता रहा है,
बाहरी उमीदवारों की धमा चौकड़ी से घिरी कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को
स्थानीय उम्मीदवार खोजने की चिंता नहीं है और जो
स्थानीय कांग्रेस के कद्दावर नेता लगातार क्षेत्र में भ्रमण कर रहे हैं।
जन जन तक पहुंच कर भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं
उन्हें इस बार भी अगर नजरअंदाज किया गया तो जनता वही परिणाम दोहराएगी।
सी वोटर ओपिनियन।
बसपा और कांग्रेस के पक्ष में नजर आए थे ये कांग्रेस नेता।
बीते विधानसभा चुनाव 2018 में जो कांग्रेस की पराजय का मुख्य कारण था बाहरी और
दल बदलकर हेलीकॉप्टर उमीदवार विद्यावती पटेल को टिकट देना,
कांग्रेस प्रत्याशी को जातिगत मतदाताओं ने तो मतदान किया था।
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लेकिन बाहरी उम्मीदवार होने के चलते स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रूचि नहीं दिखाई थी
तो वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में दूसरी पायदान पर रहे,
बहुजन समाज पार्टी के सीमा जयबीर सिंह के पक्ष में कांग्रेस पार्टी के टिकट के दावेदारों में शुमार रहे
पूर्व विधायक उदय प्रकाश मिश्रा, और पद्मेश गौतम पर बहुजन समाज पार्टी के
उम्मीदवार के पक्ष में होने का आरोप लगा था,
इन नेताओं के प्रभाव क्षेत्रों की पोलिंगो में कांग्रेस का वोट न के बराबर रहा ,
और इस बार भी कांग्रेस से टिकट की आस लगाए बैठे हुए हैं।
तीसरे नेता जो आनंद सिंह स्थानीय जो ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष देवतालाव हैं।
इन्होंने ऊपरी तौर पर तो दिखावटी रूप में कांग्रेस के साथ दिखे लेकिन वोटर्स का कहना है
उनकी अंदरूनी तौर पर जातिगत राजनीति के चलते बहुजन समाज पार्टी की प्रत्याशी
सीमा जयवीर सिंह के पक्ष में ही थे और अब 2023 में कांग्रेस से टिकट की दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं।
भाजपा के पक्ष में भी रहे कुछ कांग्रेसी नेता।
अपनी अपनी सेटिंग के अनुसार कांग्रेस पार्टी की टिकट मांगने वाले दावेदार
कांग्रेस को हराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़े थे सी वोटर ओपिनियन पोल में कांग्रेस नेता उमाशंकर तिवारी,
एस एस तिवारी और अगस्त क्रांति के सयोजक कुंज बिहारी तिवारी पर भाजपा के प्रत्याशी
गिरीश गौतम की मदद करने का आरोप लगा था,
और अब वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में ये भी कांग्रेस पार्टी से टिकट की दौड़ में नजर आ रहे हैं।
बाहरी और स्थानीय के साथ जिला फैक्टर।
बाहरी और स्थानीय उम्मीदवारों की चर्चाओं के बीच मऊगंज जिले में
देवतालाब विधानसभा क्षेत्र होने के कारण अब रीवा जिला और
मऊगंज जिले का फैक्टर भी चल रहा है देवतालाब में दिग्विजय सिंह की मौजूदगी में
क्षेत्रीय और बाहरी का मुद्दा जोर पकड़ा था और
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने स्थानीय उम्मीदवार देवतालब विधानसभा क्षेत्र में दिए जाने की बात कही थी,
लेकिन कांग्रेस के अंदर खाने में क्या चल रहा है अभी समझ पाना कठिन है।
बहरहाल देवतालाब विधानसभा क्षेत्र से टिकट के दावेदारों में विद्यावती पटेल बाहरी,
सीमा जयबीर सिंह दूसरे दल से आए हुए और रीवा जिले से हैं।
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पद्मेश गौतम बाहरी, एसएस तिवारी ने चुनाव को देखते हुए देवतालाब में घर बना लिया है
लेकिन जनता जनार्दन के दिलों दिमाग पर बाहारी का ही ठप्पा लगा है।
जो आज तक दूर नहीं कर पाए, एडवोकेट प्रवीण पाण्डेय, स्थानीय राम बहादुर शर्मा,
पूर्व डीएसपी स्थानीय पूर्व जनपद अध्यक्ष नृपेंद्र सिंह, विनय मिश्रा, स्थानीय कुंज बिहारी तिवारी,
मनगवां क्षेत्र कांग्रेस के टिकट की लाइन में है।
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जिसमें बाहरी उम्मीदवार पहले कभी चुनाव नहीं जीते और इस बार तो जनता और
कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने भी स्थानीय उम्मीदवार दिए जाने की आवाज बुलंद कर दी है
जिसके कारण बाहरी नेता चुनाव नहीं जीत सकते
तो कुछ कांग्रेस पार्टी से गद्दारी करने के कारण
जनता के बीच अच्छी छवि नहीं होने के कारण चुनाव नहीं जीत सकते हैं और
कुछ नेता बार-बार चुनाव हारने वाले नेताओं की लाइन में हैं।
जिन्हें जनता यह कहने लगी है कि यह कभी चुनाव जीत ही नहीं सकते।