मामला बीते बुधवार का है सिविल स्वास्थ्य विभाग में उस समय अफरा-तफरी मच गई,
जब मृतका शोभा बंसल पति रजनीश ग्राम पहाड़ी निर्पति सिंह महिला के परिजनों ने उपचार के दौरान
डॉ. पर लापरवाही का आरोप लगाया है उक्त महिला की तबीयत खराब होने पर परिजनों द्वारा
सिविल स्वास्थ्य विभाग में भर्ती कराया गया।
जहां डॉक्टर राजश्री मिश्रा द्वारा उपचार किया गया,
किंतु ड्यूटी खत्म होने पर चले गए और ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों द्वारा देखरेख नहीं किया गया,
जिससे उपचार के अभाव में महिला की मौत हो गई।
परिजनों का हंगामा
महिला की मौत पर दर्जनों परिजनों द्वारा स्वास्थ्य विभाग में तोड़फोड़ गाली गलौज एवं उत्पात मचाया गया,
यहां तक की स्टॉप से मारपीट की गई एवं शव वाहन पर पेट्रोल डालकर जलाने का प्रयास किया गया एवं
स्वास्थ्य विभाग में खड़े अन्य वाहनों पर लाठी-डंडे से तोड़फोड़ किया गया।
परिजनों द्वारा साफ तौर पर आरोप लगाया गया कि ड्यूटी के दौरान
चिकित्सक द्वारा लापरवाही पूर्वक उपचार करने से महिला की मौत हुई,
इतना ही नहीं परिजनों का आरोप था कि ड्यूटी खत्म होने के बाद जिस डॉक्टर की ड्यूटी थी,
वह भर्ती वार्ड में मरीज को देखने नहीं आया जिसकी वजह से महिला की मौत हो गई।
जूनियरों का सीनियरो पर आरोप
स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत जूनियर कर्मचारी एवं स्टाफ नर्स नर्सिंग ऑफिसर सहित
कई कर्मचारियों ने सीनियर डॉक्टरों पर आरोप लगाया है,
उनका कहना है कि मृतक महिला के परिजनों द्वारा राड व डंडे लेकर स्वास्थ्य विभाग में घुसकर तोड़फोड़ की गई।
उस वक्त सभी डॉक्टर मौजूद थे किंतु देखते ही सभी डॉक्टर पिछले रास्ते से भाग निकले।
किसी तरह से जान बचाकर अंदर कमरे में कई घंटों तक बंद रहे।
नर्सों द्वारा डॉक्टरों सहित बीएमओ पर आरोप लगाया गया कि
उनके द्वारा पुलिस थाने में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई जबकि नर्सों द्वारा पुलिस थाने में फोन किया गया
और मौके में पुलिस भी नहीं पहुंची।
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थाने में नहीं की गई रिपोर्ट
सिविल स्वास्थ्य विभाग मऊगंज में महिला की मृत्यु के बाद परिजनों द्वारा जो हंगामा किया गया।
वह शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने जैसा था,
किंतु यदि परिजनों द्वारा यह आरोप लगाया गया कि उपचार के अभाव में महिला की मृत्यु हुई है,
तो फिर यह भी अमानवीय है शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने जैसी स्थिति निर्मित हुई।
पेट्रोल डालकर जलाने स्टाफ नर्सों को डंडे से धमकाने तोड़फोड़ करने का मामला सामने आया,
किंतु बीएमओ द्वारा पुलिस को सूचना नहीं दी गई वहीं नर्सों द्वारा पुलिस को सूचना दी गई,
किंतु जब तोड़फोड़ करने वाले उपद्रवी स्वास्थ्य विभाग से जाने लगे तब पुलिस का आना हुआ,
मौके पर पहुंची पुलिस से ही जब उपद्रवी कुछ शांत हुए तो मौका देखकर मौके पर पहुंची पुलिस से भी झड़प हुई।
वही एएसआई के नाक में चोट आई हालांकि यह पहला मामला नहीं है, जब पुलिस की नाक कटी हो।
इसके बावजूद स्वास्थ्य प्रबंधन व पुलिस विभाग द्वारा किसी के खिलाफ कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई।
शायद यह दबाव ड्यूटी में तैनात डॉक्टर की हो सकती है जिसकी लापरवाही से महिला की मौत हुई।
मऊगंज पुलिस असमंजस में पड़ गई की मृतक महिला के परिजनों पर एफ आई आर की जाए या
चिकित्सकों पर, किंतु रिपोर्ट दर्ज करने पर मामला बाहर खुलकर सामने आता,
डॉक्टर और पुलिस के बीच मामले की सुलह हो गई तभी तो किसी के ऊपर रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई।