इस दोहे का साधारण सा अर्थ है जिसमें सांप और मोर की लड़ाई है और मोर, बादल का प्रेम से है, कि क्या करूं क्या ना करूं धर्म संकट की स्थिति निर्मित है।
वर्तमान समय में मऊगंज नगर परिषद एक राजनीतिक अखाड़ा बन चुका है वार्डों में विकास कार्य छोड़कर धरना प्रदर्शन आरोप-प्रत्यारोप पर समय बिताया जा रहा है इस अखाड़े का सूत्रधार वर्तमान जनप्रतिनिधि को माना जा सकता है कहने के लिए
भाजपा के पास 9 पार्षद होते हुए भी अध्यक्ष के चुनाव में सिर्फ 7 वोट ही मिला वर्तमान जनप्रतिनिधि द्वारा एक तीर से दो निशाने साधे गए अंततः मरते क्या न करते धरना ही एकमात्र ब्रह्मास्त्र है।
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जनप्रतिनिधि होते हुए भी धरने की परंपरा पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी से अब तक चली आ रही है आखिर इस परंपरा को भाजपा के आज्ञाकारी पार्षद क्यों ना निभाए इस समय नगर परिषद मऊगंज में भाजपा के पार्षदों द्वारा भ्रष्टाचार को लेकर धरना प्रदर्शन चालू है, पार्षदों के कथन और बयान की माने तो इस प्रदर्शन के दो माह पूर्व से ही धरने के शुरुआती दिन तक कई बार वर्तमान विधायक को इसकी जानकारी दी गई थी।
अब विचारणीय बात यह है कि यदि वाकई में नगर परिषद में भ्रष्टाचार फल फूल रहा है तो मऊगंज विधायक अपने पार्षदों की शिकायत के अनुसार उनके साथ क्यों नहीं खड़े हुए ? आज दिनांक तक लोकायुक्त या फिर अन्य एजेंसी की जांच क्यों नहीं हुई ? जबकि प्रदेश से लेकर केंद्र तक भाजपा की ही सरकार है, भ्रष्टाचार की जांच कराना विधायक के लिए एक आम बात है, किंतु नहीं हर समस्या का समाधान धरना ही है।
भाजपा के पार्षदों द्वारा चल रहे धरना प्रदर्शन में मऊगंज विधायक शाम को अंधेरे में पहुंचे लेकिन मीडिया के सवालों से बचते हुए नजर आए विधायक द्वारा कहा गया कि यह धरना प्रदर्शन पार्षदों का है, इसलिए सवाल जवाब जो कुछ भी करना है तो पार्षद ही इसका जवाब देंगे,तो क्या ? वर्तमान विधायक द्वारा मऊगंज में भाजपा के पार्षद और विपक्ष में बैठे हुए नगर परिषद अध्यक्ष की लाबी का भी वोट बैंक का जुगाड़ साध रहे है ?
अपने बघेलखंड में एक बघेली कहावत है कि
पूतउ मीठ,भतारउ मीठ,
किरिआ खई त केखर खई,
वर्तमान जनप्रतिनिधि की यही व्यथा है कि दो नाव में पैर यदि भाजपा के पार्षदों द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप में साथ खड़े होते हैं और भ्रष्टाचार के विरुद्ध जांच के लिए पहल करते हैं तो विशेष वर्ग के लोगों में कहीं न कहीं थोड़ी सी मनमुटाव या नाराजगी झेलनी पड़ेगी,विपक्ष द्वारा इस मुद्दों को हवा दी जाएगी कि कांग्रेस पार्टी द्वारा समर्थित नगर परिषद अध्यक्ष जो विषेश बर्ग से आते हैं विधायक उनके ही खिलाफ जांच शुरु करवा दिए।
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जिसका थोड़ा बहुत नुकसान आने वाले विधानसभा चुनाव में दिख सकता है, क्योंकि वर्तमान नगर परिषद अध्यक्ष बृजवासी पटेल का भी मऊगंज विधानसभा क्षेत्र के कई पटेल बाहुल्य क्षेत्रों में काफी दबदबा है जिसका असर सीधे विधानसभा के चुनाव परिणाम में पड़ सकता है।