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जिला मऊगंज: मध्यप्रदेश में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं,

जिसको लेकर सभी प्रमुख पार्टियों के क्षेत्रीय नेता जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।

लेकिन बड़ा और यक्ष प्रश्न है कि जनता भरोसा करें तो किस पर करें,

चलिए पहले बात करते हैं सत्ताधारी दल के विधायक की जिनके द्वारा बीते साढ़े 4 वर्ष में कई

नाटकीय घटनाक्रमों के माध्यम से जनता के बीच में सुर्खियां तो बटोरी

लेकिन यह सुर्खियां जनता के बीच में कितनी असर कारक हैं यह आने वाले विधानसभा चुनाव में ही तय होंगे,

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गद्दा बिछाकर धरने वाली राजनीति कितनी असर कारक होगी यह भविष्य के गर्त में छुपा है,

आम जनमानस के अनुसार मऊगंज विधायक का बीते साढ़े 4 वर्ष में यात्री प्रतीक्षालय के अलावा

ऐसा कोई विकास कार्य नहीं दिखता जिसके दम पर जनता के बीच विकास के नाम पर वोट मांग सके,

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अक्सर यह देखा गया है कि मऊगंज वर्तमान विधायक द्वारा केंद्र और

राज्य सरकार की योजनाओं को गिना कर वाहवाही लूटने का प्रयास किया गया है,

लेकिन एक कहावत है कि अंत भला तो सब भला

मऊगंज विधायक द्वारा चुनावी वर्ष के अंतिम पड़ाव पर ही सही मऊगंज को जिला बनवाकर

जनता के बीच बेहतरीन वापसी की है, ज्ञात हो कि मऊगंज जिला की लड़ाई और मांग काफी बहुप्रतीक्षित थी।

पूर्व के हुए चुनावों में सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी अपने चुनावी घोषणा पत्र में

मऊगंज जिला का मुद्दा जरूर रखते थे, मऊगंज वर्तमान विधायक द्वारा चुनावी वर्ष में ही सही।

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सौ सुनार की एक लोहार की

कहावत को चरितार्थ करते हुए विपक्षियों को चारों खाने चित करने का प्रयास किया है,

लेकिन मऊगंज जिला बनने के बावजूद भी जातिगत राजनीति और पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा

वर्तमान विधायक की राजनीति को घातक साबित होती दिख रही है,

क्षेत्रीय बनाम बाहरी का मुद्दा भी आम जनमानस के बीच चर्चा का विषय है,

अब देखना यह है कि कौन पड़ेगा किस पर भारी ?

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वही बात की जाएं मऊगंज के पूर्व विधायक बाहुबली स्टाइल के फायर ब्रांड नेता सुखेंद्र सिंह बन्ना की…..

वर्ष 2013 में सुखेंद्र सिंह बन्ना चुनाव जीतकर अपने आप को क्षेत्रीय नेता मानने वाले

स्वयंभू नेताओं के कान खड़े कर दिए ,जो अपने आप को राजनीति के चाणक्य मानते थे।

सबसे बड़ी बात यह थी की अजय सिंह के पुराने समर्थक टिकट कटवा कर

मऊगंज की राजनीति से बाहर कर देने में सुखेंद्र सिंह सफल रहे।

अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज कर राकेश रतन सिंह के बहुसंख्यक समर्थक जीतने के बाद भी

कई महीने तक इधर-उधर भटकते रहे किंतु राजनीतिक लाभ लेने एवं

अपने आप को स्थापित करने में समझदारी दिखाई और राजनीति का पहाड़ा भी यही है,

फलस्वरुप सुखेंद्र सिंह के साथ आना ही उनके लिए हित कारक था।

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पहली बार चुनाव जीतने के बाद सुखेंद्र सिंह का अक्सर नाम मध्य प्रदेश की राजनीति में कहीं न कहीं चलता रहता था

किंतु वर्ष_2018 में दूसरी बार चुनाव हारने के बाद यह पैराग्राफ भोपाल से सीधे खिसककर

विधानसभा मऊगंज के पूर्वांचल क्षेत्रों तक सीमित रह गया।

किंतु बड़े-बड़े धरना प्रदर्शन जिला बनाओ पानी लाओ ऐसे कई मुद्दों को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं।

यह अलग है कि उन पर भी कुछ विशेष जाति वर्ग व

अवैध कारोबार करवाने के आरोप-प्रत्यारोप के बीच नाम बदनाम होते रहे।

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बहुजन कांग्रेस के बाद कथा प्रवचन वाले मृगेंद्र सिंह

बीते कुछ महीने पूर्व वर्ष 2018 में बहुजन समाज पार्टी से प्रत्याशी रहे मृगेंद्र सिंह ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण किए

और मऊगंज विधानसभा 71 से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं,

वर्ष 2018 में बहुजन समाज पार्टी से चुनाव हारने के बाद बीते 4 वर्ष में अपने कार्यकर्ताओं और

सहयोगियों को असहाय छोड़कर क्षेत्र से ही नदारद रहे लेकिन जैसे ही चुनाव नजदीक आया,

amar republic

तो उनके द्वारा भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के उपरांत जगत गुरु कहे जाने वाले

रामभद्राचार्य से श्री राम कथा करवा कर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।

राम कथा में उमड़े जनसैलाब को अपना कोर वोटर‌ मानकर अभिभूत हो रहे हैं।

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वर्ष 2018 के चुनाव में जिस तरह से‌ क्षेत्रीय वोट के ठेकेदारों ने या फिर यूं कहे की ज्यादातर कांग्रेस और

भाजपा के कुछ ऐसे कार्यकर्ता जो दोनों पार्टी के प्रत्याशियों को अपना नेता नहीं मानते।

ऐसे कई लोग पार्टी के दिशा निर्देश को किनारे करते हुए

अपना अस्तित्व बचाने और अपना हित साधने के लिए मृगेंद्र सिंह के साथ रहे, लेकिन विजय श्री का टीका नहीं लगा।

खाया किसी और का बजाया किसी और का

लेकिन इस बार आम जनमानस के अनुसार राजनीतिक समीकरण बदल रहा है

वर्तमान विधायक की घटती लोकप्रियता, संघ से दूरी और पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का लाभ

भाजपा नेता मृगेंद्र सिंह के पक्ष में जाता दिखाई दे रहा है,

लेकिन यह तभी संभव है कि जब पार्टी का शीर्ष नेतृत्व मृगेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाएं,

वर्तमान भाजपा नेता मृगेंद्र सिंह सहज और सरल व्यक्तित्व के बेदाग नेता माने जाते हैं जिसका लाभ उनके पक्ष में जा सकता।

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तीसरे विकल्प में आप पार्टी की मजबूत दावेदारी

तीसरे विकल्प के रूप में आप पार्टी से लोगों का लगाव बढ़ता जा रहा है,

बीते 1 वर्ष आप पार्टी के क्षेत्रीय नेता पंडित उमेश त्रिपाठी भी क्षेत्र में लगातार सक्रिय है।

लगातार क्षेत्र में सघन जनसंपर्क कर बूथ स्तर को मजबूत कर रहे हैं।

आप नेता पंडित उमेश त्रिपाठी के पास चुनाव लड़ने का अनुभव तो नहीं है लेकिन,

संगठन को किस तरह मजबूती प्रदान की जाए इसका अनुभव है जो अब क्षेत्र में दिखने लगा है।

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पंडित उमेश त्रिपाठी के चुनावी समर में आ जाने के कारण अब क्षेत्र में क्षेत्रीय बनाम बाहरी का मुद्दा भी जोर पकड़ रहा है,

विधानसभा 71 के बहुसंख्यक वोट का झुकाव अब आप पार्टी से जुड़ रहा है,

आम जनमानस के अनुसार बाहरी जनप्रतिनिधियों ने मऊगंज में आकर मऊगंज की जनता के साथ छलावा कर सिर्फ अपना और

अपनों का विकास किए हैं डॉक्टर आई एम पी वर्मा, लक्ष्मण तिवारी, और वर्तमान विधायक प्रदीप पटेल दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की किये,

लेकिन क्षेत्रीय मतदाता आज भी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं, इस कारण तिसरा विकल्प अब लोगों को खूब रास आ रहा है

आप नेता पंडित उमेश त्रिपाठी की बेदाग छवि और सहजता भी चर्चा का विषय है,

खैर अब देखना यह है कि इस चुनावी समर में किस पार्टी का कौन सा नेता जनता जनार्दन के बीच अपना प्रभुत्व स्थापित कर पाता है।

मऊगंज विधानसभा 71का इतिहास रहा है कि हमेशा यहां की जनता जनार्दन ने राजनीति में ‌ एक नया अध्याय लिखा है,

इस वर्ष जनता किसके सिर पर लगाएगी विजय श्री का टीका ? किसकी होगी सह और कौन कौन खाएंगे मात ?


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