अब भाजपा चुनावी राजनीति में भी करेगी पीढ़ी परिवर्तन, उम्रदराज नेताओं को टिकट से परहेज
भाजपा संगठन में पीढ़ी परिवर्तन के दौर को थामने के पक्ष में नहीं।
कांग्रेस भी बार-बार हारे हुए चेहरों को प्रत्याशी नहीं बनाएगी।
भोपाल। चार माह बाद होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर भाजपा और
कांग्रेस अपनी गाइडलाइन को अंतिम रूप दे रही हैं।
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भाजपा वर्ष 2020 में चुनाव के माध्यम से संगठन में पीढ़ी परिवर्तन कर चुकी है।
100 सीटों पर युवा और नए प्रत्याशियों की तलाश,
अब वह चुनावी राजनीति में उम्रदराज और कई बार चुनाव जीत चुके नेताओं से पल्ला झाड़ेगी।
इसी तरह कांग्रेस भी बार-बार हारे हुए चेहरों को प्रत्याशी नहीं बनाएगी।
पार्टी ऐसी 100 सीटों पर युवा और नए प्रत्याशियों की तलाश कर रही है।
इसके पीछे दोनों पार्टियों के अपने-अपने अध्ययन और अनुभव हैं।
नए और युवा चेहरों की तलाश
मप्र विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा छह- सात बार या
इससे अधिक चुनाव लड़ चुके नेताओं को टिकट नहीं देने की रणनीति पर काम कर रही है।
ऐसे विधानसभा क्षेत्रों में ज्यादातर सीटों पर नए और युवा चेहरों की तलाश की जा रही है।
वहीं, कांग्रेस ने तय किया है कि चुनाव में नए लोगों को मौका दिया जाएगा।
इसमें जिन सीटों पर पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है, वहां पहले प्रत्याशी घोषित कर दिए जाएंगे।
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युवाओं को मौका देने की संभावनाएं
70- 75 के पार, छह या ज्यादा बार विधायक या दीर्घ राजनीतिक सक्रियता जैसे बिंदुओं को देखते हुए
उम्रदराज नेताओं की जगह नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है।
इसे जारी रखने की मंशा से भाजपा संगठन में पीढ़ी परिवर्तन के दौर को थामने के पक्ष में नहीं है,
बल्कि विधानसभा क्षेत्रों के स्तर पर उतरकर युवाओं को मौका देने की संभावनाएं टटोली जा रही हैं।
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1989-90 वाली टीम ही सत्ता में
इससे पहले भाजपा में सुंदरलाल पटवा और कैलाश जोशी की जोड़ी ने 1989-90 में जिन नेताओं को पार्टी में आगे बढ़ाया था,
वही टीम अभी सत्ता में है।
उस दौर में शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय,
नरोत्तम मिश्रा सहित कई युवा चेहरों को पार्टी ने चुनाव लड़ाया था।
कई नेताओं को भेजा मार्गदर्शक मंडल में
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने भले ही टिकट देने के लिए उम्र का फार्मूला नहीं बनाया था
पर 73 वर्षीय रुस्तम सिंह और 71 साल जकयंत मलैया को छोड़कर कई उम्रदराज नेताओं को पार्टी ने मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया।
अनेक नेताओं को किया टिकट से वंचित
इनमें पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, सरताज सिंह, रामकृष्ण कुसमारिया, कैलाश चावला,
रमाकांत तिवारी सहित कई नेताओं को टिकट से वंचित कर दिया गया।
इनका कहना है
घर-परिवार हो या राजनीति, पीढ़ी परिवर्तन स्वाभाविक प्रक्रिया है।
कार्यकर्ताओं की जो भावना होती है उसी के अनुसार भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व प्रत्याशी का चयन करता है।
हम कार्यकर्ता आधारित राजनीतिक दल हैं किसी एक परिवार के आधार पर चलने वाले दल नहीं हैं
इसलिए नए नेतृत्व को उभारना भी लोकतंत्र की मजबूती के लिए हमारे नेतृत्व का राजनीतिक कर्तव्य भी है।
नई भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने वाला नेतृत्व देने का कार्य भाजपा लगातार कर रही है।
रजनीश अग्रवाल, प्रदेश मंत्री भाजपा मप्र