अभय मिश्रा को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की खबर पर जबरदस्त कयास लगाए जा रहे कि
कांग्रेस पार्टी से टिकट नहीं मिलने वाली थी, कमलनाथ ने मना कर दिया था यह सब कहने सुनने तक है,
अभय वह व्यक्ति हैं जिस दल से जब जिस क्षेत्र से टिकट चाहता,
वह उसे हासिल हो जाता यह 2018,में कर दिखाया है,
फिर मुन्ना मैनेजर उपाधि बांट कर चार वर्ष आराम से अपने कारोबार में मस्त रहते हुए,
जो लोग यह कहते थे अब भाजपा में जगह नहीं मिलेगी।
उनके मुंह पर तमाचा जड़ कर उसी भाजपा में सदस्यता ले कर यह साबित कर दिया है कि
अभय मिश्रा को समझना किसी के बूते मे नही है,
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भाजपा में आने से अभी वह कितनी तरह की गतिविधियों को संचालित कर दे,
कितने लोगों को हांसिए से बाहर का रास्ता दिखा दे यह समझना सामान्य बात नही है,
जब लोग उछल रहे थे रीवा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी टिकट नही देगी।
तब यही कमलनाथ रीवा से टिकट दे दिया, अभी भी सेमरिया से टिकट अभय के झोली में थी,
परन्तु पैंतरा बदलने का मामला अभी सहजता से किसी को समझ में नही आयेगा,
यह तो उन लोगों को एक उदाहरण पेश किया है जो कहते थे अभय मिश्रा को भाजपा में जगह नही मिलेगी।
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वहीं आज मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष गृहमंत्री सब भाजपा में स्वागत करते हुए नजर आए।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा को विन्ध्य में अभी उस तरीके का व्यक्ति नही मिला था,
जो उनके हिसाब से हो, चूंकि भाजपा वर्तमान में रीवा जिले में दो भागों में चलती है।
एक विकास पुरुष भईया जी का खेमा, दूसरा भाजपा का संगठन एवं पार्टी की सम्पूर्ण टीम,
जिसकी वागडोर अजय सिंह के रिमोट से चलती है।
केपी त्रिपाठी की राजनीति राजेंद्र शुक्ल की छत्रछाया पर निहित है,
जो अब इस बदले परिवेश में कितना पतवार चला सकते हैं यह कहना मुश्किल है,
प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी कौन सत्ता में आयेगा यह अलग बात है,
परन्तु विन्ध्य भू भाग में भाजपा की स्थिति काफी नाजुक होने से हर सप्ताह मुख्यमंत्री स्वयं
यहीं कत्थक कर अपनी मायाबी बीन बजा रहे हैं,
हर महीने देश के प्रधानमंत्री मध्यप्रदेश के हर जिले में आ रहें हैं तो ऐसा लगता है कि
जनता अब परिवर्तन की ओर दौड़ पड़ी है,
ऐसी स्थिति में भाजपा को जिताऊ प्रत्याशी की तलाश है।
जैसा कि कांग्रेस मलखान सिंह को अपना सदस्य बना लिया,
उसी तरह से भाजपा में भी दरबाजे खुले हुए नजर आते हैं,
संजय दुबेदी भी बैनर पोस्टर की राजनीति कर टिकट का सपना देख रहे थे,
अब लगभग और काफी लोगों की कल्पनाओं का समंदर सूख जायेगा।