रीवा।अक्सर स्थानीय समाचार पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक चैनलों में चोर उचक्कों और जेबकतरों को पकड़ने के बाद
हीरो बनने वाले टीआई और रीवा समान थाने की कथनी-करनी एक मासूम गर्भवती महिला के मोबाइल और
पर्स के चोरी का मामला अपने आप जनमानस के सामने आ गया है।
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दो दिन से चोरी की शिकायत के लिए थाने में आ रहे है और
उछल कूद करने के बाद भी समान पुलिस के हाथ खाली हैं।
बेदम पुलिसिंग सिस्टम और मुखबिर तंत्र की बैसाखी तक सीमित रहने वाली रीवा जिले की समान पुलिस
चोरी हो चुकी गरीब परिवार की समान को खोजने में पूरी तरह असफल साबित हुई है।
उन गरीब माता पिता को मजबूती देने के लिए अभी तक कोई मंत्री, सांसद, विधायक, महापौर, पार्षद सहित
अन्य जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठन आगे नहीं आया है।
गरीब होने के कारण समान पुलिस भी बहुत ज्यादा दबाव में तेजगति से काम नहीं कर रही है।
हमारे नेताओं और तमाम सामाजिक संगठनों के लोगों को सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए
दिखावटी समाज सेवा में जरुर व्यस्त देखा जाता है पर उनमें मासूम गर्वावती के लिए कोई संवेदना नहीं है।
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आज यदि यही चोरी जिले की जमीन पर किसी नेता के बच्चे,
आला अधिकारियों की औलाद या फिर रीवा के किसी धन्नासेठों के साथ घटती
तो यही रीवा पुलिस पतासाजी करने के लिए कोहराम मचा देती।
इनके लिए राजनैतिक दलों के साथ साथ तमाम सामाजिक संगठनों का विरोध प्रर्दशन सड़क पर शुरू हो जाता।
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तब भाजपा सरकार और जिला प्रशासन भी खोजी अभियान के लिए रीवा पुलिस पर निसंदेह दबाव बनाते और
अब तक परिणाम सामने आ जाता। लेकिन अफसोस मासूम एक गर्ववती गरीब माता पिता का सवाल है,
इसलिए न तो राजनैतिक दल और न ही सामाजिक संगठनों की कोई खबर नहीं है।
मासूम के समान को खोजने की पुलिसिया कोशिशें बैलगाड़ी की रफ्तार में आगे बढ़ रही है।