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रीवा : शासकीय ठाकुर रणमत सिंह कॉलेज विंध्य का सबसे पुराना कॉलेज है और यह मध्य प्रदेश में छात्रों की सबसे बड़ी संख्या वाला कॉलेज भी है। 2018 सत्र से 2020 तक कॉलेज में बड़ी वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं। तत्कालिक कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने एक जांच समिति बनाई थी और इस जांच समिति ने कॉलेज में बड़ी वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया था।

उस समय कलेक्टर के आदेश पर ईओडब्ल्यू (EWO) ने केस दर्ज कर 19 लोगों को आरोपी बनाया था । प्राप्त जानकारी के अनुसार ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय रीवा में हुए वित्तीय अनियमितता मामले में ईओडब्ल्यू ने तीन पूर्व प्राचार्य का चालान कोर्ट में प्रस्तुत किया जहां से कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया था।

वर्तमान में तीनों पूर्व प्राचार्य जमानत पर बाहर है इसी वित्तीय अनियमितता मामले में और कई प्राध्यापक शामिल है जिनका चालान प्रस्तुत करना ईओडब्ल्यू भूल गया या फिर किसी प्रकार के राजनैतिक दबाव के कारण चालान प्रस्तुत नहीं हो रहा या विवेचना के नाम पर सभी आरोपी प्राध्यापक कार्यवाही से बचते रहेंगे।

मध्य प्रदेश सरकार एक तरफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है और दूसरी ओर रीवा के सबसे प्रतिष्ठित महाविद्यालय में भारी वित्तीय अनियमितता के मामले में उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कोई कार्यवाही अभी तक नहीं की गई सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कई प्राध्यापक अभी भी परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्य में लगे हुए हैं।

सभी आरोपी प्राध्यापकों के नाम 

डॉ अजय शंकर पांडे ,सतेंद्र शर्मा ,डॉ एस यू खान, रामलला शुक्ला ,यह तीनों पूर्व प्राचार्य के चालान प्रस्तुत हो चुके हैं कोर्ट ने इन्हें जेल भेज दिया था यह अब जमानत पर बाहर है बाकी शेष बचे आरोपी प्राध्यापक डॉ. अजय शंकर पांडे ,डॉ. आरपी चतुर्वेदी ,डॉ. कल्पना अग्रवाल, डॉक्टर संजय सिंह, डॉ बीपी सिंह, डॉक्टर सुशील कुमार दुबे ,डॉक्टर आर एन तिवारी, डॉक्टर एसएन पांडे, डॉक्टर आर के धुर्वे, डॉ एच डी गुप्ता ,डॉ संजय शंकर मिश्रा तीन आरोपी प्राध्यापकों के साथ श्रमिक और भृत्य भी है।

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इन सभी पर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफ आई आर दर्ज की थी लेकिन आज दिनांक तक इनका चालान कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हो सका और यह सभी आरोपी प्राध्यापक शासकीय टीआरएस कॉलेज में कई वर्षों से जमे हुए हैं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कई आरोपी प्राध्यापक महत्वपूर्ण पदों पर आज भी कार्य कर रहे हैं जब पूर्व में इनके द्वारा भारी वित्तीय अनियमितता की गई है तो वर्तमान में यह आरोपी प्राध्यापक कैसे कोई सही कार्य कर सकते हैं।

आखिर आरोपी प्राध्यापकों को संरक्षण कौन दे रहा है या इन्हें कौन बचा रहा है।

सूत्रों की माने तो विवेचना के नाम पर आज दिनांक तक आरोपी प्राध्यापकों के ऊपर कोई भी कार्यवाही नहीं की गई जानकार मानते हैं कि रीवा के एक बड़े राजनेता के द्वारा इनको संरक्षित किया जा रहा है।

वर्तमान प्राचार्य डॉक्टर अर्पिता अवस्थी के ऊपर भी उन्हीं राजनेता का हाथ है जो इन आरोपी प्राध्यापकों को बचा रहे हैं अगर यही जांच 2015 से की जाए तो कई प्राध्यापक जांच के दायरे में आ सकते हैं लेकिन वर्तमान प्राचार्य के द्वारा जांच में लीपापोती करके अपने करीबियों को बचाया गया है जांच समिति के सामने सही दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए।


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