रीवा। रीवा यमपुरी का नाम सुनकर अच्छे अच्छों की हालत गंभीर हो जाती है।
कुछ इसी तरह के हालात रीवा जिले के संजय गांधी हॉस्पिटल के बन गये हैं।
इस अस्पताल में आने के बाद वह लोग बहुत खुश किस्मत होते हैं,
जो सकुशल घर को वापस लौट पाते हैं हालांकि ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम होती है।
जब से यह अस्पताल विंध्य में प्रारंभ हुआ है और
आज तक के परिदृश्य पर यदि नजर डालें तो दस्तावेज ही बताते हैं कि
यहां आने वाले अधिकांश मरीजों के यमपुरी जाने की फुल गारंटी होती है।
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जिन अधिकारियो और मेडिकल स्टाफ द्वारा संरक्षण प्राप्त होता है,
वह आम जनता की जिंदगी बचाने के लिए होती है,
लेकिन वही यमपुरी के यमदूत बनकर लोगों को काल के गाल में पहुंचाने का कमाल करते हैं।
रोज डॉक्टरी लापरवाही के चलते संजय गांधी अस्पताल होते हुए यमपुरी पहुंचने का सिलसिला जारी रहता है।
बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा करने वाली सरकारों को इतना ध्यान देना चाहिए कि
कम से कम अस्पताल एवम डॉक्टरों के ऊपर कार्यवाही करनी चाहिए,
नही अस्पताल यमपुरी में तब्दील न हो जाएं।
मरीजो के लिए कब्र गाह बन गया है रीवा जिले का संजय गांधी मेडिकल कॉलेज
रीवा में आए दिन सुर्खियों में रहने वाला संजय गांधी हॉस्पिटल नित नए कारनामों के लिए जाना जाता है,
वही ऐसा ही एक मामला आज फिर देखने को मिला है,
जहां एक्सीडेंट हुए मरीज का तीन महीने में तीन बार ऑपरेशन करने के बाद भी
हड्डी नहीं जुड़ पाई और पैर काटने की नौवत आ गई,
परेशान होकर मरीज के परिजन छुट्टी कर कर कहीं और ले जाकर मरीज का इलाज करवा रहे हैं
यह हाल है विंध्य क्षेत्र के सबसे बड़े संजय गांधी अस्पताल का,
वही लालगांव निवासी राजीव द्विवेदी ने बताया कि उनकी माताजी का गलत ऑपरेशन करने से
पैर की हड्डी तो नही जुड़ी, साथ ही पैर काटने की नौवत आ गई है।