नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/ जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 (SC/ST Act) को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सिर्फ अभद्र भाषा का प्रयोग किसी व्यक्ति के खिलाफ ST/ST Act लगाने के लिए काफी नहीं है। अदालत ने व्यक्ति के खिलाफ लगाए आरोप को खारिज कर दिया।
जस्टिस एसआर भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी को सार्वजनिक रूप से ‘बेवकूफ’ या ‘मूर्ख’ या ‘चोर’ कहता है तो यह आरोपित द्वारा अपशब्द कहे जाने का कृत्य माना जाएगा। यदि यह SC/ST व्यक्ति को कहा गया है, तब तक धारा 3(1)(एक्स) के तहत व्यक्ति को आरोपित नहीं किया जा सकता, जब तक कि इस तरह के शब्द जातिसूचक टिप्पणी के साथ नहीं कहे गये हों।
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अदालत ने यह भी कहा कि जिस समय यह घटना हुई, उस समय शिकायतकर्ता के अलावे उसकी पत्नी और बेटे उपस्थित थे। इसके अलावा कोई और मौजूद नहीं था। कोर्ट ने कहा कि पत्नी-बेटे की उपस्थिति में कही गई बात को सार्वजनिक नहीं कहा जा सकता।