फ्रांस इस समय दुनिया की सुर्खियों में है। देश भर में लोग हिंसक और उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं।
मैंक्रो सरकार हाशिए है। प्रदर्शन तेज होता जा रहा है।
निश्चित रूप से सारे घटनाक्रम की वजह फ्रांस की पुलिस और वहां का असहिष्णु कानून है
जिसकी वजह से देश हिंसा की आग में जल रहा है।
ट्रैफिक नियमों का कथित रूप से अनुपालन न करने पर एक किशोर को जांच की आड़ में गोली मार दी गई।
कार चालक 17 वर्षीय किशोर नाहेल एम पर आरोप था कि उसने वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस पर रिवॉल्वर तान दिया था।
निश्चित रूप से इसकी जितनी आलोचना की जाय वह कम है। दुनिया भर में मानवीय और उसके अधिकार सर्वोपरी होना चाहिए।
मीडिया की खबरों और उसके विश्लेषण से पता चलता है कि पुलिस अपनी नाकामी छुपाने के लिए निर्दोष युवक पर इस तरह का आरोप मढ़ रही है।
नाहेल ने अगर ट्रैफिक नियम को तोड़ा था तो उसे दूसरे तरीके से भी सजा दी जा सकती थी।
यह जुर्म इतना बड़ा नहीं था कि उसे गोली मार दी जाय। निश्चित रूप से पुलिस ने फ्रांस के लचीले कानून का दुरुपयोग किया है।
गोली मारने की यह पहली घटना नहीं है इसके पूर्व भी कई लोग शिकार हुए हैं।
मीडिया मे यह तथ्य भी सामने आए हैं कि पुलिस नस्लीय मानसिकता में भी बेगुनाहों को निशाना बनाती है।
फ्रांस एक संप्रभु और लोकतान्त्रिक देश है। उसे ऐसे विवादित और कठोर कानून से बचना चाहिए।
क्योंकि कानूनी आड़ में इसका दुरुपयोग किया जाता है।
सरकार ट्रैफिक नियमों को इतना कठोर बनाकर लोकतांत्रिक अधिकारों का दुरुपयोग कर रही हैं।
अगर पुलिस के आरोप को ही सच मान लिया जाए। कि किशोर नाहेल ने ट्रैफिक नियमों का दुरूपयोग किया था,
तो पुलिस उसे सबक सिखाने के लिए दूसरे संवैधानिक अधिकार का भी प्रयोग किया जा सकता था।
किसी की हत्या इसका समाधान नहीं था।
देश के ट्रैफिक नियमों के मुताबिक उसकी गिरफ्तारी हो सकती थी। किशोर अधिनियम के तहत उसे जेल भी भेजा जा सकता था।
उसे समझाने की कोशिश भी पुलिस कर सकती थी। वाहन चलाने पर प्रतिबंधित किया जा सकता था।
लेकिन सिर्फ क्या जान लेना ही किसी कानून का संरक्षण हैं।
भारत जैसे देश में अगर ऐसे कानून बना दिया जाए तो यहां पांच मिनट भी नहीं टिक सकते हैं।
क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।
लोकतंत्र में आम नागरिकों की सुरक्षा कैसे की जाती है यह भारत से बेहतर कोई नहीं जानता।
यहां हर नागरिक को संवैधानिक अधिकारों के इतर जाकर उसके व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण किया जाता है।
सुसंगत कानून होने के बावजूद भी लोगों को दंड नहीं दिए जाते।
यहां की पुलिस यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों को गांधीगिरी के जरिए गुलाब का फूल भेंट करती है।
क्योंकि सिर्फ कानून से देश को नहीं चलाया जा सकता है। भारत में बाल एवं किशोर हितों का पूरा ख्याल किया जाता है।
नाहेल की हत्या करने वाले आरोपी पुलिसकर्मी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
इस घटना को फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने पुलिस की तीखी आलोचना की है।
वैसे उनके बयान को लेकर पुलिस संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और कहा है कि इससे पुलिस का मनोबल गिरेगा।
लेकिन देश में बढ़ती हिंसा को रोकने की पहली प्राथमिकता सरकार की है।
आक्रोशित लोग प्रदर्शन के दौरान सरकारी इमारतों, पुलिस स्टेशन, स्कूलों और दूसरे संस्थानों को निशाना बना रहे हैं।
पुलिस पर आरोप लग रहे हैं कि ट्रैफिक नियमों की जांच के दौरान जानबूझकर निर्दोष किशोर को गोली मारी गई।
हालांकि यह जांच विषय है। फ्रांस का गृह मंत्रालय भी पुलिस की करतूत पर बेहद नाराज है।
दोषी पुलिस के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की घोषणा किया है।
फ्रांस सरकार ने 2017 में गोली मारने के कानून में ढील देने का फैसला किया था।
अब इस तरह का लचीला कानून उसी लिए भारी पड़ रहा है।
जबकि उसी दौरान मानवाधिकार संगठनों ने सरकार से इस कानून को वापस लेने का दबाव बनाया था।
फ्रांस की मीडिया के मुताबिक जबसे इस कानून में संशोधन हुआ है इस तरह की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार अब तक 13 लोग शिकार बने है।
पुलिस पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि गोलियां काले और अरब के मूल लोगों पर चलाई जाती है।
जिसकी वजह से निर्दोष किशोर की जान गई है। नाल का संबंध भी फ्रांसीसी अल्जीरिया मूल से बताया गया है।
फ्रांस सरकार को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। ट्रैफिक नियमों में तत्काल सुधार किया जाना चाहिए।
वाहनों की चेकिंग के लिए गोली चलाने पर प्रतिबंध लगना चाहिए। फ्रांस के आम नागरिक अधिकारों का खुली तरह संरक्षण होना चाहिए।
दुनिया भर में लोकतांत्रिक देश में हरहाल में मानवीय अधिकारों का संरक्षण होना चाहिए
और ऐसे निर्मम कानून पर रोक लगनी चाहिए दोषी पुलिसकर्मी को निर्दोष किशोर की हत्या के लिए कठोर दंड दिया जाना चाहिए।
हम सिर्फ कठोर कानून से लोकतांत्रिक व्यवस्था का संचालन नहीं कर सकते।
लोगों के आम अधिकारों की सुरक्षा सरकार की पहली प्राथमिकता और दायित्व है।
अस्वीकरणः ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं ।