कांग्रेस पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता जब पीसीसी चीफ कमलनाथ से मुलाकात करता है
तो उसे जवाब मिलता है कि सर्वे में नाम आएगा तो फिर बात की जाएगी।
अब सवाल इस बात का उठता है कि कांग्रेस में सर्वे कौन करता है और
कौन सी कंपनी को सर्वे का काम दिया गया है। किसी भी विधानसभा की बात करें लोग यही कहते हैं कि
हमारे पास तो कोई पूछने के लिए नहीं आया।
कांग्रेस के पदाधिकारियों से बात की गई तो उनका कहना है कि बूथ स्तर पर सर्वे का काम किया जा रहा है।
बूथ स्तर पर जब पड़ताल हुई तो वहां के पदाधिकारियों का कहना था कि उनके पास भी कोई नहीं आया।
आखिर कांग्रेस में सर्वे कौन कर रहा है।
साल 2020 में जब कांग्रेस की सरकार गई थी और 28 सीटों में उपचुनाव हुए थे
उस दौरान भी पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा था कि सर्वे के हिसाब से ही नेताओं को टिकट दिए जा रहे हैं।
अब सवाल इस बात का उठ रहा है कि जब कांग्रेस पार्टी ने सभी उम्मीदवारों का सर्वे करवाया था
तो 28 सीटों में सिर्फ 09 सीटें ही कांग्रेस क्यों जीती।
अब 2023 की बात करें तो एकबार फिर सर्वे की बात बार-बार आ रही है।
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पार्टी के हर कार्यकर्ता को यही कहा जा रहा है कि सर्वे में नाम दिया जा रहा है और
जब आपका नाम आएगा तो आपको बुलाया जाएगा।
कांग्रेस में रोजाना इसी प्रकार से करीब 100 लोग पीसीसी चीफ कमलनाथ के निवास पर अपना बायोडाटा लेकर जाते हैं
और टिकट की आस लिए उनसे बात करते हैं।
अब तो कांग्रेस के कार्यकर्ता ही कहने लगे हैं कि सर्वे के नाम पर उनके साथ मजाक किया जा रहा है
जिसकी जितनी पहुंच है उसके हिसाब से ही टिकट फायनल किया जा रहा है।
कांग्रेस में कद के हिसाब से हर बड़े नेताओं को टिकट बांटने की जिम्मेदारी सौंपने की परंपरा रही है
और उसी के हिसाब से टिकट मिलता रहा है।
पिछले कुछ सालों से सर्वे की बात जरुर आई है
जबकि सर्वे की बात करने वाली कांग्रेस को ज्यादा खराब स्थितियों का सामना करना पड़ा है।
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क्योंकि सर्वे वाले पता नहीं कहां सर्वे करते हैं किसका सर्वे करते हैं
आज तक पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता को पता नहीं चल पाया है इसी लिए अब स्थिति यहां तक पहुंच गई है
कि पार्टी के कार्यकर्ताओं को सर्वे पर विश्वास नहीं रहा बल्कि उनका तो यह भी कहना है कि
सर्वे के नाम पर उन्हे सिर्फ ठगने का प्रयास किया जा रहा है
जिससे वो कुछ बोल ना पाएं। अगर सर्वे की रिपोर्ट कमलनाथ जी के पास है तो वो बताएं कि किसकी क्या स्थिति है।