मऊगंज नगर परिषद में भाजपा के पार्षदों द्वारा भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर विगत 12 तारीख को नगर परिषद कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन चालू हुआ।
इस धरना प्रदर्शन में भाजपा के क्षेत्रीय नेता और पदाधिकारी भी शामिल हुए! मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल दुसरे दिवस भी दोपहर में धरना स्थल पर पहुंचे ! पार्षदों द्वारा 12 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन विधायक के हाथों में सुपुर्द किया।
रीवा जिले के सांसद जनार्दन मिश्रा भी देर शाम धरना स्थल पर पहुंचकर मऊगंज एसडीएम एपी द्विवेदी और नगर परिषद सीएमओ की मौजूदगी में धरना को समाप्त करवाएं।
और पार्षदों की मांग पर भ्रष्टाचार की जांच करवाने का आश्वासन दिया।
पार्षदों के अनुसार मऊगंज विधायक ने भी यह आश्वासन दिया है कि आप लोगों की मांग को सीधे हम मुख्यमंत्री के पास लेकर जा रहे हैं।
विधायक के इस आश्वासन का मतलब सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के पार्षद ही बता सकते हैं कि निराकरण और मांग कैसे पूरी होगी ?
भाजपा के पार्षदों द्वारा ही मीडिया कर्मियों से चर्चा के दौरान बताया कि इस भ्रष्टाचार के शिकायत की जांच के लिए 2 महीने पूर्व से ही संबंधित कार्यालयों लोकायुक्त और एजेंसियों को लिखित शिकायत पत्र दिया जा चुका है।
और इस शिकायत की जांच हेतु मऊगंज विधायक से भी पूर्व में कई बार चर्चा की जा चुकी है।
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लेकिन अंततः भ्रष्टाचार की जांच नहीं हुई तो भाजपा के पार्षदों को मजबूरन विधायक जी के ही नक्शे कदम पर चलते हुए धरना का सहारा लेना पड़ा।
अब सवाल यह है कि क्या एक विधायक अपने क्षेत्र में फैल रहे भ्रष्टाचार की जांच करवाने की भी हैसियत नहीं रखता ?
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वह भी तब जब विधायक खुद एक राज्य मंत्री के पद पर हो और सत्ता पक्ष के हो या फिर विधायक जी भ्रष्टाचार की जांच करवाना ही नहीं चाहते ?
खैर यह तो अंदर की बात है यह भाजपा के पार्षद और विधायक ही बता सकते हैं की शिकायत पत्र के बावजूद भी जांच क्यों नहीं हुई ?
अब देखना यह है कि जब विधायक जी पार्षदों की मांग पत्र को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने भोपाल पहुंच ही चुके हैं।
तो भ्रष्टाचार की जांच कितनी शीघ्र शुरू होगी ?
क्योंकि भाजपा के बड़े-बड़े नेता न खाऊंगा न खाने दूंगा और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं।
इस भ्रष्टाचार के आरोप पर नगर परिषद अध्यक्ष ने क्या कहा वह भी समझने की जरूरत।
नगर परिषद अध्यक्ष के द्वारा दिए गए वक्तव्य को माने तो भ्रष्टाचार को संरक्षण देने वाले ही धरने पर बैठे हैं।
जो पार्षद आज भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच को लेकर धरने पर बैठे हुए है। जबकि यही पार्षद लोग सिफारिश करके पत्राचार के माध्यम से यह संतुष्टि पत्र नगर परिषद अधिकारी को सौंपा है कि उनके क्षेत्र में हैंडपंप खनन का कार्य हुआ है।
ऐसे में यह बड़ा प्रश्न उठता है कि अब इन्हें इसकी जांच की जरूरत कैसे हुई वही बिजली खरीदी के नाम पर व्यापक भ्रष्टाचार करने वाले सुलेन्द्र गुप्ता गेंदे बाबू भी धरना स्थल पर दिखाई दिए तथा पांच लाख चौआलिस हजार के ट्रैक्टर मरम्मत के नाम पर फर्जी भुगतान वेदमणि शुक्ला के द्वारा प्राप्त किया गया। नया ट्रैक्टर पांच लाख से कम कीमत पर खरीदा जा सकता है लेकिन मरम्मत के नाम पर इतना बड़ा घोटाला भाजपा के पूर्व अध्यक्ष चंद्रप्रभा गुप्ता के समय से ही निरंतर जारी है।जिसकी जांच कराई जानी चाहिए।
वर्तमान अध्यक्ष बृजवासी पटेल के संज्ञान में आने पर उन्होंने इस पर रोक लगा दी और जब सारा बिल निकलवाया तो उन्हें पता चला कि इसमें पांच लाख से अधिक की राशि का भुगतान मरम्मत के नाम पर फर्जी तौर पर किया जा चुका है भाजपा पार्षद दबाव बनाकर फर्जी भुगतान कराना चाहते हैं जिसमें वह सफल नहीं हो पा रहे हैं जिसको लेकर के नगर परिषद के अध्यक्ष और सीएमओ पर दबाव बनाने का काम कर रहे हैं।
उक्त पार्षदों ने आरोप लगाया है कि लाखों रुपए मिठाई के नाम पर भुगतान किया गया जबकि भाजपा सरकार के विभिन्न आयोजनों में यह मिठाई की राशि खर्च की गई और टेंट का भुगतान भाजपा के ही नेताओं के द्वारा लगाया गया जिसका भुगतान नगर परिषद को करना पडा।अब जब वो कामयाब नही हो पा रहे है तो नया तरीका अपने विधायक से सीख कर घरना के माध्यम से दबाव बनाने का काम कर रहे हैं।
विडंबना मऊगंज की दुर्दशा नगर वासियों की
आपसी खींचातानी और रस्साकशी में नगर की जनता जाए तो जाए कहां नगर को व्यवस्थित बनाने के नाम पर उजाड़ा गया।
हल्की बारिश होने पर ही मेन शहर की रोड तालाब का रूप ले लेती है तो वार्डों की हालत कैसी होगी इस का बखान ही नहीं किया जा सकता है।
क्या इसी विकास के लिए मऊगंज की जनता ने जनप्रतिनिधियों को चुना है?