भोपाल : मध्यप्रदेश भाजपा संगठन में बदलाव की संभावनाओं को लेकर एक बार फिर चर्चा है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की जगह पहले अध्यक्ष रह चुके नरेंद्र सिंह तोमर या संगठन के जानकार कैलाश विजयवर्गीय को कमान दी जा सकती है। इनके अलावा ब्राह्मण चेहरे के तौर पर दो नाम हैं। बदलाव की यह चर्चा दिल्ली में बीजेपी के तीन शीर्ष नेताओं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष की बैठक के बाद सामने आई है। इस बैठक में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित 5 राज्यों में चुनाव की तैयारी को लेकर बात हुई। पार्टी सूत्रों का कहना है कि तीनों नेताओं ने संगठन के खाली पदों को भरने के साथ ही मध्य प्रदेश सहित चार राज्यों में संगठनात्मक बदलाव पर चर्चा भी की।
विंध्याचल के नेताओं पर नहीं रहा है विश्वास?
पूर्व में विंध्य प्रदेश से पूर्व मंत्री रहे राजेंद्र शुक्ला का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष के पद की दौड़ में था, राजन शुक्ला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बहुत करीबी माने जाते हैं और एक ब्राह्मण चेहरा भी थे जातीय समीकरण में भी इनका नाम फिट बैठ रहा था, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा और विंध्य क्षेत्र के कुछ विधायकों की नाराजगी और विरोध की वजह से इनका नाम प्रदेश अध्यक्ष की पद की दौड़ से बाहर हो गया।
BIG BREAKING : यह कैसी राजनीति ? राजनीति या फिर द्वेष नीति, देखें पूरी रिपोर्ट
शिवराज सिंह 13-14 जून को दिल्ली जा सकते हैं
पार्टी के एक पदाधिकारी का कहना है कि हाल ही में कर्नाटक चुनाव के नतीजे पार्टी के पक्ष में नहीं रहे हैं। माना जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव के नतीजे को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी नाखुश थे। इसके पीछे कमजोर संगठन को माना जा रहा है। बीजेपी ने तीन महीने पहले राजस्थान, बिहार सहित चार राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष बदले हैं, जबकि चुनावी राज्य छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष को आठ महीने पहले ही बदल दिया था। शर्मा का 3 साल का कार्यकाल इसी साल 15 फरवरी को पूरा हो चुका है। उनके एक्सटेंशन की कोई घोषणा अब तक नहीं हुई है। इससे पहले जिस राज्य में भी अध्यक्ष को एक्सटेंशन दिया, वहां इसकी घोषणा कर दी गई थी। बिना घोषणा के प्रदेश अध्यक्ष के इतने लंबे एक्सटेंशन का दूसरा उदाहरण नहीं है। शिवराज सिंह चौहान 13-14 जून को दिल्ली जा सकते हैं l उनके इस दौरे को प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से जोड़कर देखा जा रहा है।
MAUGANJ NEWS : पार्षदों की गुटबाजी से रुका वार्ड का विकास, जाने पूरी खबर
इसलिए विजयवर्गीय पर दांव लगा सकती है बीजेपी
बीजेपी अध्यक्ष बनने को लेकर जिन तीनों नाम को लेकर चर्चा हो रही है, उसमें राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय एक प्रमुख दावेदार बताए जा रहे हैं। विजयवर्गीय को प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंपे जाने का प्रमुख कारण यह भी है कि उन्होंने बीते पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बेहतर रणनीति बनाकर पार्टी को वहां अधिक सीटें दिलवाने में सफलता प्राप्त की है। यही नहीं, विजयवर्गीय का प्रदेश के पार्टी कार्यकर्ताओं, मंत्री, विधायकों से बेहतर तालमेल है। ऐसे में आलाकमान निचले स्तर पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाने और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए विजयवर्गीय को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप सकती है। गौरतलब है कि विजयवर्गीय दिल्ली में बैठने के बावजूद भी लगातार प्रदेश में सक्रिय रहते हैं। यहां के सियासी गणित से अच्छी तरह वाकिफ हैं। यही वजह है कि पार्टी नेताओं में चल रहे आपसी मनमुटाव को दूर करने की जिम्मेदारी उन्हें ही सौंपी गई।
वीडी शर्मा को मिल सकती है केंद्र में जिम्मेदारी
सूत्रों का कहना है कि इसमें राष्ट्रीय पदाधिकारियों से लेकर राज्य के अध्यक्ष भी बदले जाना है। खासकर उन राज्यों में, जहां बीजेपी की सरकार है। दरअसल पार्टी विधानसभा चुनावों को 2024 के लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देख रही है। यदि विष्णु दत्त शर्मा को हटाया तो उन्हें केंद्र में जिम्मेदारी दी जा सकती है। उनके स्थान पर पार्टी चुनावी गणित के हिसाब से जातीय कार्ड खेल सकती है।