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एटन कॉलेज से ब्रिटेन के 57 प्रधानमंत्रियों में एक तिहाई से ज्यादा उसके यहां पढ़कर निकले हैं। लेकिन, एक तथ्य यह भी है कि 2014 और 2021-22 के बीच ऑक्सफोर्ड या कैम्ब्रिज जैसी नामी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने वाले उसके छात्रों की संख्या आधी से कम रह गई थी।

महंगी शिक्षा और यूनिवर्सिटी एडमिशन की बदलती नीतियों के कारण प्राइवेट स्कूलों पर बहस छिड़ गई है। कई अमीर देशों में प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंटों की संख्या कम हुई है। अमीर देशों के संगठन ओइसीडी के 30 सदस्य देशों में उन स्कूलों में छात्रों की संख्या वर्ष 2000 के 8% से गिरकर 2018 में 5% हो गई थी जिन्हें आधा पैसा सरकारों से मिलता है।

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अमेरिका, ब्रिटेन के स्कूलों में पढ़े छात्रों की स्थिति बेहतर

ब्रिटेन और अमेरिका में एलीट प्राइवेट स्कूलों में पढ़े स्टूडेंट को यह फायदेमंद साबित हुआ। ब्रिटेन के मुकाबले अमेरिका ज्यादा बेहतर है। वहां स्कूली छात्रों को अच्छी यूनिवर्सिटी में जगह मिली। ब्रिटेन में प्राइवेट स्कूलों में 6.5% बच्चे पढ़ते हैं। अमेरिका में 9% बच्चे इन स्कूलों में जाते हैं। ब्रिटेन में प्राइवेट स्कूल में एक बच्चे की पढ़ाई का खर्च लगभग 17 लाख रुपए सालाना से अधिक है। यह मध्यमवर्गीय परिवार की आय का लगभग आधा है।

वहीं, अमेरिका में बहुत महंगे स्कूल में पढ़ाई का सालाना खर्च लगभग 23 लाख रुपए है। 2015 की एक स्टडी के मुताबिक, प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा पाने वाले 25 साल के लोगों की आय अन्य वर्करों की तुलना में लगभग 17% ज्यादा रही। 42 साल की आयु में यह लगभग 21% अधिक रही।

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34% नए ग्रेजएट्स प्राइवेट स्कूलों में पढ़े ब्रिटेन में अब प्राइवेट स्कूलों के छात्रों को टॉप यूनिवर्सिटी- ऑक्सफोर्ड या कैम्ब्रिज में पहले जैसा महत्व नहीं मिलता है। पिछले साल इन दो यूनिवर्सिटी में प्राइवेट स्कूलों के अंडरग्रेजुएट्स क्रमश: 32% और 27% थे। दस साल पहले यह संख्या 43% और 39% थी ।

इस बदलाव से सबसे ज्यादा एलीट स्कूलों को धक्का लगा है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी अच्छे प्राइवेट स्कूलों के स्टूडेंट स्वागत करती हैं। थिंक टैंक एजुकेशन रिफॉर्म नॉव के जेम्स मर्फी ने 2021 में अमेरिका की 35 सबसे ऊंची रैंक की यूनिवर्सिटी के डेटा जुटाए थे। इसके अनुसार औसतन 34% नए ग्रेजएट्स प्राइवेट स्कूलों में पढ़े थे।

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गरीबों को मिली छूट 

अंग्रेजी विश्वविद्यालयों में हर घरेलू स्टूडेंट से एक जैसी ट्यूशन फीस ली जती है। विदेशी स्टूडेंट से ज्यादा पैसे लेते हैं। अमेरिका की सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटी में गरीब छात्रों से बहुत कम या ना के बराबर फीस ली जाती है। इस वजह प्रतिभाशाली छात्रों को अच्छे कॉलेजों में पढ़ने का मौका मिलता है।

 


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