रीवा। जिले भर के मिलरो के साथ जिला नागरिक आपूर्ति अधिकारी का दोहरा मापदंड,
जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति अधिकारी पंकज बोरसे की कार्यशैली पर बड़े प्रश्न चिन्ह खड़े हो रहे हैं।
और यह प्रश्न चिन्ह उनके द्वारा जिले के मिलरो के खिलाफ किए जा रहे सौतेले व्यवहार को लेकर हैं।
जिले में हुए बड़े पैमाने में चावल के बंटावार में जहां तीन मिलरो के खिलाफ,
जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति अधिकारी पंकज बोरसे के निर्देश पर एफआईआर दर्ज कर लिया गया।
वहीं तीन अन्य राइस मिलर जिन्होंने बिना डिपोजिट के चावल जमा किया।
उनमें महादेवा राइस मील,सोहगौरा राइस मील एवं मुकंदम राइस मील के खिलाफ,
जिला प्रबंधक पंकज बोरसे ने एफआईआर दर्ज क्यूं नहीं कराई अब सवाल यह उठता है कि
क्या यह मिलर जिला प्रबंधक के रिश्तेदार हैं या फिर इनके द्वारा श्री गोडसे को मोटी रकम दी जाती है।
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अब जिला प्रबंधक श्री बोरसे नान के महाप्रबंधक को भी धोखे में रख कर मिलरो से सांठ-गांठ कर,
जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं गौर करने वाली बात यह है कि
जिले के 40 मिलरो ने पांच लाख क्विंटल से अधिक धान का उठाव तो किया लेकिन चावन नहीं जमा कराया।
आखिर चावल कहां गया यह जांच का विषय है नाम के जिला प्रबंधक के द्वारा किए गए
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कारनामों की जांच कराई जाए तो जिला प्रबंधक के सभी काले कारनामें उजागर हो सकतें हैं।
सूत्रों की मानें तो पूर्व में पदस्थ रहे आपरेटर मनीष तिवारी की सलाह पर जिला प्रबंधक कार्य कर रहे हैं।
सवाल यह उठता है कि जिले के जब छ: मिलरों ने बिना डिपोजिट चावल जमा किया।
तो तीन पर ही एफआईआर दर्ज कराना
जिला नागरिक आपूर्ति अधिकारी पंकज बोरसे की कार्यप्रणाली पर कई बड़े सवाल खड़े कर रहा है।