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रीवा /मऊगंज :  हाले बयां मऊगंज यह है कि वर्तमान में ऐसी कोई प्रशासनिक व्यवस्था नहीं जो जनता के लिए पनौती ना हो उसका महज कारण एक है क्षेत्र के तथाकथित वह नेता जिनके कंधे में समूची व्यवस्था है लेकिन सभी इस कदर मद मस्त और मदहोश है कि अगर प्रशासन गलत करता है तो परवाह नहीं अगर सही करता है तो दूर दूर तक उसका सम्मान नहीं।

 

समूची व्यवस्था ने भी फैसला ले लिया उसे दक्षिणा लेने और देने तक ही सभी संवैधानिक व्यवस्था को बनाए रखते हुए सभी का मुँह चिढाना है।अर्थात मऊगंज में अब पैसा ही सर्वोपरि है यहीं यहाँ की नियति है।

विकास के नाम पर बनें डिवाइडर चीख़ चीख़ कर बता रहे हैं दास्ताँ

उपरोल्लिखित बातों की दास्तां विकास के नाम पर बनें डिवाइडर चीख़ चीख़ कर यह बयां कर रहे हैं कि जब बिना डिवाइडर के बने ही अतिक्रमण के कारण संकरी सड़क की बजह से यातायात व्यवस्था ध्वस्त थी, तो डिवाइडर बनने के बाद तो एक तो करैला ऊपर से नीम चढ़ाने की बात हो गई बिना सड़क के चौडीकरण के डिवाइडर निर्माण से सड़के इतनी सकरी हो गई कि जाम लगने की समस्या तो पहले भी थी अब रोज दुर्घटनाएं होने लगी।

  1. अब जानकारों की मानें तो यह सब अदूरदर्शीता और अति महत्वाकांक्षा परिणाम है,जिन जिम्मेदारों पर यह जिम्मेदारी थी कि बिकास करें और करवाए वह सब उपलब्धि का तमगा लेने और आर्थिक फायदे के लिए जनता को बद से बदतर हालात में पहुंचा दिया।

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पहले बिना किसी कार्ययोजना के आशियाना उजाड़े,लोगों को बेघर और बेरोजगार किया बाद में डिवाइडर के नाम पर लीपा-पोती करके जिस तरह से शासन प्रशासन जनता के घाव में नमक मिर्च लगा रहें हैं वह ना केवल नाकबिले बर्दाश्त हैं, वरन अक्षम्य है और घोर अमानवीय भी है।


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