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हर मनुष्य पर विभिन्न ग्रह दशाओं का प्रभाव, उसकी लग्न कुंडली में उनके ग्रह की स्थिति के अनुसार पड़ता है।

आपने लोगों को कहते सुना होगा कि अभी इस ग्रह की महादशा चल रही है, इसलिए ऐसा हो रहा है, या महादशा के कारण उन्हें नुकसान उठाने पड़े। इसके कारण ज्योतिषियों से हल भी पूछते रहते हैं। आपको बता दें कि प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवनकाल में लगभग प्रत्येक ग्रह की महादशा से होकर गुजरना पड़ता है।

शुक्र की महादशा सबसे ज्यादा 20 वर्ष की होती है।
हर मनुष्य पर विभिन्न ग्रह दशाओं का प्रभाव, उसकी लग्न कुंडली में उस ग्रह की स्थिति के अनुसार पड़ता है। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति की लग्न कुंडली में चंद्र उच्च का है या कारक भाव में है, तो चंद्र की महदशा में उसे लाभ होगा।

सूर्य की महादशा
सूर्य आत्मा, शक्ति और शारीरिक ऊर्जा का कारक ग्रह है। इसे पिता के रूप में भी देखा जाता है। यदि लग्न कुंडली में सूर्य उच्च का होकर मेष राशि में हो, लग्नस्थ या नवम भाव में हो तो अनुकूल प्रभाव देता है। सिंह और धनु राशि के जातकों के लिए लाभदायक है और तुला तथा कुंभ राशि के जातकों को कुछ कष्ट हो सकता है।

वैसे सूर्य की महादशा में मनुष्य की आदतों में अवश्य परिवर्तन आता है। चूंकि सूर्य तुला राशि में नीच का होता है इसलिए इस राशि के जातकों को सूर्य की महादशा प्रारंभ होते ही अपनी आदतों और संगति दोनों पर सूक्ष्म दृष्टि रखनी चाहिए।

अधिकतम लाभ के लिए बेल के वृक्ष की प्रतिदिन पूजा करें। सूर्य को जल दें।

चंद्र की महादशा
चंद्रमा मन, माता, राज्य कृपा इत्यादि का कारक ग्रह है। यदि आपकी कुंडली में चंद्र उच्च का होकर वृषभ राशि में है या चतुर्थ भाव में है तो चंद्र की महादशा में आपको सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।

वृश्चिक राशि के जातकों को सर्वाधिक लाभ हो सकता है। वैसे तो चन्द्र की महादशा किसी के लिए भी कष्टकारक नहीं होती, लेकिन यदि आपकी कुंडली में चंद्र राहु या शनि द्वारा दृष्ट है या उनकी युति में है तो भावनात्मक कष्ट हो सकते हैं।

ये उपाय करें
लाभ के लिए शिव जी की आराधना करें। चांदी का एक सिक्का अपने पास रखें।

मंगल की महादशा
मंगल को बाहुबल , भाई, शत्रु और भूमि का कारक माना गया है। यदि आपकी लग्न कुंडली में मंगल उच्च का होकर मकर राशि में है या तीसरे या छठवें भाव में है तो आपको मंगल के दशा में लाभ होगा।

कर्क और मीन राशि के जातकों के लिए मंगल की महादशा लाभदायक होती है। वृषभ, कन्या और मकर राशि के जातकों को मंगल की महादशा में अत्याधिक क्रोध के कारण हानि हो सकती है।

भूमि, स्वास्थ्य और रोजगार संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए हनुमान जी की आराधना कर एक तांबे का सिक्का अपने पास हमेशा रखें।

बुध की महादशा
बुध को विद्या, बुद्धि, विवेक और कार्यक्षमता का कारक ग्रह माना गया है। यदि आपकी लग्न कुंडली में बुध कन्या राशि में अवस्थित उच्च का है या चौथे अथवा दशम भाव में है तो बुध की महादशा आपके लिये विकास के बहुत सारे अवसर लेकर आएगी।

वैसे तो बुध की महादशा सभी के लिए सामान्य होती है लेकिन कन्या व मिथुन राशि के जातकों के लिए उत्तम होती है। मीन राशि के जातकों के निर्णय बुध की महादशा में गलत हो सकते हैं।

विद्या प्राप्ति और कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए बुध की महादशा में गणेश जी का प्रतिदिन पूजन व मंत्र जाप करे।

गुरु की महादशा
गुरु को गुरु, संतान, देह और सौंदर्य का कारक ग्रह माना गया है। यदि आपकी लग्न कुंडली में गुरु दूसरे, पांचवे, नवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में है तो आपको गुरु की महादशा में लाभ होगा।

यदि गुरु मकर राशि में पड़कर नीच का है या राहु अथवा शनि द्वारा दृष्ट है तो हानि भी हो सकती है। मेष राशि के जातकों को व्यवसायिक उन्नति और प्रमोशन जैसे लाभ गुरु की महादशा में ही होते हैं। कन्या राशि के जातकों को गुरु की महादशा में राज्य से संबंधित हानि हो सकती है।

ये उपाय करें
उन्नति के लिए गुरु की महादशा में केले के पेड़ का पूजन कर भगवान विष्णु जी के मंत्रों का जप करें।

शुक्र की महादशा
शुक्र को शास्त्रों में पत्नी सुख, वाहन, प्रेम, सौंदर्य इत्यादि का कारक ग्रह माना गया है। यदि आपकी कुंडली में शुक्र सप्तम भाव में है या मीन राशि में अवस्थित उच्च का है तो आपको शुक्र की महादशा में लाभ होगा।

शुक्र यदि कन्या राशि में है, तो आर्थिक हानि हो सकती है। मिथुन मकर और कुंभ राशि के जातकों के लिए शुक्र की महादशा अत्यंत लाभदयक हो सकती है। कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों को आर्थिक निर्णय सोच समझ कर लेने होंगे।

ये उपाय करें
शुक्र की महादशा में अधिकतम लाभ के लिए लक्ष्मीजी की आराधना करें।

शनि की महादशा
शनि को आयु, जीविका, नौकरी इत्यादि का कारण माना गया ह। यदि आपकी लग्न कुंडली में शनि तुला में होकर उच्च का है अथवा तीसरे छठवें, दसवें या ग्यारवें भाव में है तो आपको संपन्नता की राह दिखाता है।

वृषभ और कन्या राशि के जातकों के लिए शनि की महादशा लाभदायक होती है। मेष, सिंह और धनु राशि के जातकों को न्याय संबंधी समस्याएं आ सकती हैं।

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वैसे तो शनि की महादशा में सभी को हर तरह की परिस्थियों से दो चार होना पड़ता है, क्योंकि शनि की महादशा 19 वर्ष की एक लंबी अवधि होती है।

ये उपाय करें
अधिकतम लाभ के लिए पीपल के पेड़ की छांव में बैठ कर शनि मंत्रों का जाप करना या लोहे का एक छल्ला मध्यिका में पहनें।

राहु की महादशा
राहु एक छाया ग्रह है और दादा और पूर्वजों का कारक ग्रह है। मनुष्य के जीवन में जब भी कोई अवस्था ऐसी हो जब उसे कुछ सूझ न रहा हो तो समझना चाहिए कि राहु का प्रभाव है।

राहु अस्थिरता का कारक ग्रह है। यदि आपकी कुंडली में मिथुन राशि में है तो अपनी महादशा में सकारात्मक प्रभाव देगा। आपकी कुंडली में राहु यदि दशम भावस्थ है तो अपनी महादशा में व्यवसायिक प्रगति दे सकता है।

राहु की महादशा में शिवजी की आराधना अवश्य करें। चंदन का एक टुकड़ा गले में धारण करें। लाभ के लिए अच्छे लोगों से मित्रता करें।

केतु की महादशा
राहु की तरह केतु भी एक छाया ग्रह है जो धनु राशि में उच्च का होता है। ये नाना और अन्य पितरों का कारक ग्रह है। केतु की महादशा में अनचाहे कार्यों को करने की स्थिति आ सकती है।

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मनुष्य विपरीत परिस्थितियों में भी फंस सकता है। कुंडली में यह जिस राशि व जिस ग्रह के साथ होगा उसके अनुसार ही शुभ अशुभ फल देगा,
उपाय के लिये गणेश जी की आराधना व मंत्र जाप करे कुष्ठ आश्रम में दान करे पक्षियों को दाना दें।

यह समान्य नियम व विश्लेषण है,
बाकी अधिक समस्या हेतु पूर्ण कुंडली विश्लेषण ज़रूरी होगा।


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