रीवा मे देश के चौथे स्तम्भ पर हुआ जानलेवा हमला, बाल बाल बचे दो पत्रकार
जी हाँ खबर रीवा जिले से है जहाँ अग्निबाँण दैनिक सांध्य अख़बार के जिला ब्यूरो पुष्पेंद्र तिवारी उर्फ़ सोनू,
व अनादि राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल के पत्रकार आशीष सिंह परिहार पर ढेकहा छोटी पुल से थोड़ा आगे
राजपूत गन सर्विस के सामने 5 की संख्या मे आए बदमाशों ने उस वक्त अचानक हमला कर दिया
ज़ब दोनों पत्रकार खबर बनाने के लिए जा रहे थे।
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5 की संख्या मे थे हमलावर
पीड़ित पत्रकार पुष्पेंद्र तिवारी उर्फ़ सोनू ने बताया की 5 की संख्या मे आए,
हमलावरो ने अचानक से अग्निबाँण अख़बार के बारे मे बात किये वा किसी वीडियो के बारे मे पूछे,
ज़ब दोनों पत्रकारों ने कुछ बता पाने मे असमर्थता जाहिर की
तो पांचो बदमाश पत्रकारों पर राड, डंडा, चाकू से हमला कर दिया।
भरे बाजार खुलेआम पिटता रहा देश का चौथा स्तम्भ
पत्रकारों पर जिस जगह पर हमला हुआ है वो एक व्यस्त मार्ग है,
व दिन रात लोगों का आवागमन उस रास्ते मे बना रहता है,
लेकिन किसी ने बीच बचाव का कोई प्रयास नहीं किया अपितु कुछ लोग वीडियो बनाने लगे।
जिनकी आवाज को उठाने लिए दिन रात मेहनत किये उन्होंनेपत्रकारों को बचाने का एक प्रयास तक नहीं किया।
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आखिर क्यों हुआ पत्रकारों पर हमला, आखिर क्या थी वजह
प्रथम दृष्टया पूरा मामला पुरानी रंजिस की ओर इशारा कर रहा है,
क्युकी हमलावरो मे दो लोगों को पत्रकार ने पहचान लिया है,
लेकिन हअभी उनके नाम का खुलासा नहीं किया गया है।
पत्रकारिता का पेशा ही हमले की मुख्य वजह समझी जा रही,
पत्रकार पुष्पेंद्र तिवारी उर्फ़ सोनू के द्वारा कुछ कोरेक्स बेचने वालों की सूचना पुलिस को दी थी।
जिसकी वजह से अपराधियों ने एकत्र होकर यह कारनामा किया है।
आखिर पत्रकार की सुरक्षा कौन करेगा, पुलिस को मुजरिम मिला,
वकील को मिला क्लाइंट पत्रकार को क्या मिला ये आज सर्ववीदित है।
फिर भी अजीब सनकी किस्म के होते हैं ये पत्रकार सुबह से एक झोला लेकर घर से निकलते हैं।
शाम को खाली हाँथ वापस घर आते हैं,
लेकर जाते हैं लोगों के ताने अपराधी किस्म के लोगों की गालियां वा पुलिस की नजरअंदाजी।
पत्रकारों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है
पत्रकार पर हुए जानलेवा हमले की घटना दर्शाती है कि पत्रकारों की सुरक्षा महत्वपूर्ण और चिंता का विषय है।
पत्रकारों का कार्य निर्वाह देश की जनता को सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और
अन्य मुद्दों पर जानकारी प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
समाचार संगठन, सरकार वा सामाजिक संगठनों को मिलकर पत्रकारों की सुरक्षा के बारे मे प्रयास करना चाहिए
समाचार संगठनों, सरकारों और सामाजिक संगठनों को मिलकर कार्रवाई करनी चाहिए
ताकि पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
विशेषज्ञों की मदद से पत्रकारों को सुरक्षा के लिए ट्रेनिंग देनी चाहिए और
उन्हें सुरक्षा उपकरणों की आवश्यकता है। पत्रकारों पर हमले को एक निंदनीय अपराध की श्रेणी मे रखा जाना चाहिए,
और हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि इन हमलों के लिए ज़िम्मेदार लोगों को कड़ी से कड़ी सजा तथा
पत्रकारों को न्याय मिले और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो।