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आगें कह मृदु वचन बनाई। पाछे अनहित मन कुटिलाई।

नगर परिषद में दिए गए धरने को लेकर क्या है जन चर्चा !!
भ्रष्टाचार रोकने एवं जांच कराने की जगह पर काम चलाने की नीति का पहाड़ा पढ़ा गए सांसद‌ महोदय!
यह धरना मऊगंज विधायक के समझ व धरना दे रहे पार्षदों की नासमझी है तभी तो भाजपा के पूर्व बिगड़े कार्यकर्ता एकत्रित होकर सांसद को बुलाना पड़ा ये वही सांसद है जो पिछले वर्ष एक कार्यक्रम के दौरान सरपंचों को 10 लाख तक भ्रष्टाचार करने की छूट दिए थे आखिरकार यही सब पाठ पढ़ा गए पार्षदों को सांसद‌! किंतु यह सब बात विधायक को नागवार गुजरी विधायक भ्रष्टाचार मिटाना चाहते हैं किंतु धरना के माध्यम से।

यह अलग बात है कि उनके पार्टी के लोग ही यहां तक कि माननीय विधानसभा अध्यक्ष भरी सभा में धरना वीर विधायक कह कर संबोधित करते हैं।

धरना-प्रदर्शन के नाम पर कब तक दो-चार होती रहेगी जनता

जनता को मूर्ख समझने और बनाने का तो राजनैतिक दलों का पुराना इतिहास रहा है।लेकिन कुछ दिनों से एक अनोखी परपंरा से जनता को मूर्ख बनाने का असफल प्रयास किया जा रहा है।जिसकी शुरुआत क्षेत्रीय विधायक द्वारा तब की गई जब प्रदेश में उनकी सरकार होते हुए भी समस्याओं के लेकर धरने में बैठने लगे, और रोचक पहलू यह रहा कि समस्याएं जस का तस रही और विधायक जी के धरने समाप्त होते गए।कुछ परिस्थितियों में तो समस्या खत्म होने की बजाय और विकराल स्वरूप में हो गई जैसे कि चाकमोड कि शराब की दुकान।जो विधायक जी के धरने के बाद भी ना केवल यथावत् है बरन अन्य और अधिक समस्याओं का केन्द्र बिंदु बन गया।

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कुछ उसी नक्शेकदम पर चलते हुए अब भाजपा के पार्षद नगर परिषद के कथित भरष्टाचार के विरोध में धरने पर बैठे,और सांसद महोदय के आश्वासन पर दूसरे दिन धरना समाप्त हो गया,परिणाम भविष्य के गर्त में है।लेकिन अनेक ऐसे सवालो के साथ कि अगर सासंद महोदय के आश्वासन पर ही धरना समाप्त होना था तो इतने ताम झाम आडबंर की क्या जरूरत थी? यह आश्वासन तो एक प्रतिनिधि मण्डल के साथ मुलाकात कर लेने से मिल जाता हां इतना जरूर था तब इतना मीडिया कवरेज ना मिलता और प्रशासन के बीच रूतबा और भय जरूर ना बनता।

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लेकिन सारा खेल तो चुनावी स्टंट की तरह ही आभासित रहा क्योकि जब प्रदेश में सत्ता भा ज पा की है तो विधायक से लेकर पार्षद तक बार-बार अनशन पर बैठ कर जनता को बेबकूफ बनाते हैं या मनोरंजन करते हैं।और तमाम धरनों की रोचकता यह रहती है कि समस्या यथावत बनी रहती है।अभी भाजपा पार्षद जिन आरोपों के लेकर धरने में बैठे थे प्रति क्रिया में उन आरोपों के तमाम छींटे भी अब भाजपा नेताओ पर ही आ रहें हैं।

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आगें कह मृदु वचन बनाई। पाछे अनहित मन कुटिलाई।
जाकर चित अहिगत सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहि भलाई।

भावार्थ-
जो व्यक्ति आपके सामने बनाकर मीठा मीठा बोलता है और पीठ पीछे मन में आपके प्रति बुरी भावना रखता है,
जिसकी भावना( मन) सांप की चाल जैसा टेढ़ा हो ऐसे व्यक्ति का परित्याग करना ही उचित है।


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