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भोपाल। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश,

देश के उन सात राज्यों में शामिल है, जहां महिलाओं के विरुद्ध सबसे अधिक अपराध होते हैं।

2018 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रत्याशी के रूप में चुनाव आयोग को दिए शपथ पत्रों में

प्रदेश के 230 में से 94 (41 प्रतिशत) विधायकों ने स्वीकार किया है कि उन पर आपराधिक मामले हैं।

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इनमें से 48 (21 प्रतिशत) पर गंभीर आपराधिक और तीन पर महिलाओं पर अत्याचार के मामले पंजीबद्ध हैं।

महिला अत्याचार के आरोपित विधायकों के नाम रिपोर्ट में सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) और

नेशनल इलेक्शन वाच (एनइडब्ल्यू) की शनिवार को पुणे में जारी राष्ट्रव्यापी रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आए हैं।

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एडीआर और एनइडब्ल्यू ने देश के 28 राज्यों और

दो केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के 4033 में से 4001

वर्तमान विधायकों के शपथ पत्रों का विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार की है।

यह शपथ पत्र पिछले चुनाव के समय प्रस्तुत किए थे।

रिपोर्ट के अनुसार

एक विधायक के विरुद्ध हत्या और छह के विरुद्ध हत्या के प्रयास के मामले हैं।

इनमें मुलताई से कांग्रेस विधायक सुखदेव पांसे के विरुद्ध दो,

रामपुर बघेलान से भाजपा विधायक विक्रम सिंह के विरुद्ध एक,

नरसिंहपुर से भाजपा विधायक जालम सिंह पटेल के विरुद्ध तीन,

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हरदा से भाजपा विधायक एवं मंत्री कमल पटेल के विरुद्ध दो,

तराना से कांग्रेस विधायक महेश परमार के विरुद्ध चार,

भोपाल मध्य से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के विरुद्ध एक और

सुमावली से कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाह के विरुद्ध 11 प्रकरण पंजीबद्ध हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2018 के चुनाव के बाद 14 विधायकों ने पार्टी बदल ली।

File photo

वहीं अरबपति विधायकों की संख्या के मामले में मध्य प्रदेश

देश में चौथे स्थान पर है। यहां छह (तीन प्रतिशत) विधायकों की संपत्ति सौ करोड़ के पार है।

देश में अधिक संपत्ति वाले शीर्ष 10 विधायकों में मप्र का नाम नहीं है और

कम संपत्ति वाले 10 विधायकों में पंधाना के विधायक राम दांगोरे हैं।

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उनकी कुल संपत्ति 50,749 हजार है और अचल संपत्ति नहीं है।

अधिकतम देनदारी वाले शीर्ष 10 विधायकों में भी मप्र का नाम नहीं है।

यहां 230 विधायकों में से 210 (91 प्रतिशत) पुरुष और 20 (9 प्रतिशत) महिला हैं।

संस्था ने विधायकों की साक्षरता को भी विश्लेषण में शामिल किया है।

मप्र में पांचवीं से कम पढ़े-लिखे छह (तीन प्रतिशत), 12वीं तक 66 (29 प्रतिशत),

स्नातक 94 (41 प्रतिशत), स्नातकोत्तर या इससे अधिक पढ़े-लिखे 64 (28 प्रतिशत) विधायक हैं।


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