ज्ञात हो कि सत्यमणि पांडे सन 1985 से बाल भाजपाई के रूप में सदस्य ग्रहण कर
लगातार पार्टी के एक संघर्षील कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं,
पार्टी द्वारा भी सत्यमणि पांडे को समय-समय पर कई प्रमुख जिम्मेदारियां दी गई।
वर्ष 1990 से 97 के बीच दो बार मंडल उपाध्यक्ष हनुमना
वर्ष 1997 में मंडल अध्यक्ष उसके बाद ग्रामीण विकास प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष
सन 2018 में भारतीय जनता पार्टी से जिला मंत्री के पद पर भी
अपनी जिम्मेदारियां का निर्वहन करते हुए क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पार्टी द्वारा कराए जा रहे सर्वे में सत्यमणि पांडे
एक ब्राह्मण चेहरा के रूप में सर्वे में शीर्ष पर भी है।
ज्ञात हो कि मऊगंज विधानसभा 71 ब्राह्मण बहुल्य क्षेत्र है जिसका लाभ सत्यमणि पांडे को मिल सकता है।
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मऊगंज विधानसभा में 2023 के चुनाव में स्थानीय बनाम बाहरी का भी मुद्दा जोर पकड़ रहा है।
जिसको लेकर पार्टी भी यदि जातीय समीकरण और सर्वे के अनुसार टिकट बांटती हैं तो
इसका सीधे सीधे लाभ क्षेत्रीय होने के नाते सत्यमणि पांडे को मिल सकता है,
सत्यमणि पांडे उस दौर के भारतीय जनता पार्टी से नेता है,
जिस दौर में कांग्रेस पार्टी का पूरे प्रदेश के साथ-साथ विंध्य में दबदबा कायम था,
वर्ष 2018 के चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी से सत्यमणि पांडे का नाम टिकट की लिस्ट में शामिल था,
फिर अचानक एक बार फिर मऊगंज विधानसभा के लिए पैराशूटी प्रत्याशी उतार दिया गया।
लेकिन वर्ष 2023 के चुनाव में भाजपा के पैराशूट प्रत्याशी वाली प्रथा का जमकर विरोध हो रहा है।
वर्षों से भारतीय जनता पार्टी के दामन थामे हुए
पुराने कार्यकर्ता भी इस बार क्षेत्रीय प्रत्याशी की मांग कर रहे हैं क्योंकि
वर्तमान विधायक की जातीय राजनीति करने और जीवन भर संघर्ष करने वाले
पार्टी के पुराने कार्यकर्ता की उपेक्षा वर्तमान विधायक को प्रत्याशी बनने पर भारतीय जनता पार्टी को भारी पड़ सकती है।