इन दिनों मध्यप्रदेश में चुनाव की जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए
अमित शाह बार बार मध्यप्रदेश का दौरा कर रहे है,
क्योंकि कुछ सर्वे मध्यप्रदेश में भाजपा की जमीन खिसकने की बात कह रहे है।
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भाजपा एक ऐसा संगठन है जिसके पास बूथ स्तर से लेकर विधानसभा स्तर के सक्रिय कार्यकर्ताओं का नेटवर्क है,
इससे भी आगे प्रमुख भी बनाए गए है, लेकिन जमीनी सच्चाई ये है कि
ये सब दायित्व सिर्फ कागजों पर बनाए गए है।
किसी भी बूथ के प्रभारी को नहीं मालुम है कि वो बूथ प्रभारी है,
बैठकों में सिर्फ गिने चुने लोग आते है और नारा लगा कर घर चले जाते है।
बैठकों में कोई चिंता भी नहीं करता है कि कौन आया और कौन नहीं,
विधायक कहते हैं कि ये काम संगठन का है और संगठन वाले क्या करें उन्हें स्वयं नहीं पता है।
कॉंग्रेस के प्रत्येक गुट और उनके कार्यकर्ता पूरे जोश में भाजपा की कमियां लोंगों को बता रहे है।
हालांकि जनता कांग्रेसियों की असलियत जानती है लेकिन भाजपा के क्रिया कलाप को भी जनता पसंद नहीं कर रही है,
विधायकों के पास अपनी उपलब्धि से ज्यादा लाडली बहना पर विश्वास है,
इसलिए सभी विधायक मस्त होकर मोदी और लाडली बहना का गीत सुना कर कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भर रहे है।
लेकिन दुर्भाग्य से कार्यकर्ताओं ने स्वेच्छा अनुदान और विधायक निधि की सूची देख लिया है,
और कार्यकर्ता अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
इसलिए अब कार्यकर्ता एक नई रणनीति पर काम कर रहे है एवं नई जमीन तैयार कर रहे है,
अब इस नई जमीन पर भाजपा कितने कदम चलती है ये तो वक़्त बताएगा।