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मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 22 समर्थकों के साथ मार्च 2020 में पाला बदल लिया था।

22 में से 19 उनके कट्टर वाले समर्थक थे। इसके बाद कांग्रेस की सरकार गिर गई।

2020 के आखिर में हुए उपचुनाव में उनके 6 समर्थक चुनाव हार गए थे।

सरकार ने बोर्ड और निगम में उन्हें सेटल कर उपकृत कर दिया है।

विधानसभा चुनाव 2023 की तारीख नजदीक आ गई है।

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ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि बीजेपी के अंदर चुनाव हारे सिंधिया समर्थकों का फ्यूचर क्या है ?

उपचुनाव में बीजेपी के पुराने नेताओं ने इनके लिए कुर्बानी दी थी।

अब शायद ऐसी स्थिति नहीं हैं। सिंधिया खेमे के ये 6 लोग चुनाव हार गए हैं,

ऐसे में दावेदारी भी कमजोर हुई है। पार्टी को जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश है।

सिंधिया खेमे के इन लोगों का समीकरण गड़बड़ाया तो टिकट पर संकट आ सकता है।

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इमरती देवी का क्या होगा

इमरती देवी की गिनती ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी लोगों में होती है।

कांग्रेस की सरकार में मंत्री रही हैं। डबरा से विधायक थीं। सिंधिया के साथ बीजेपी में आईं।

उपचुनाव में चुनाव हार गईं। सरकार ने लघु उद्योग निगम का अध्यक्ष बना दिया है।

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2023 की बिसात में इनकी राह भी आसान नहीं है।

डबरा में पुराने नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है। वहीं, इमरती देवी भी काफी मेहनत कर रही हैं।

फैसला आलाकमान को लेना है।

Amar republic

मुन्ना लाल गोयल भी हार गए थे चुनाव

ग्वालियर पूर्व से विधायक रहे मुन्नालाल गोयल भी सिंधिया के साथ बीजेपी में आए थे।

उपचुनाव हार गए। बीजेपी ने इन्हें भी राज्य बीज विकास निगम का अध्यक्ष बना दिया।

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2023 में क्या पार्टी इन्हें फिर इनाम देगी इस पर संशय है।

रघुराज सिंह कंसाना भी हार गए हैं चुनाव

पूर्व मंत्री रघुराज सिंह कंसाना भी उपचुनाव हार गए हैं।

इसके बावजूद पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम का अध्यक्ष बनाया है।

मुरैना से यह विधायक रहे हैं। बीजेपी के पुराने दावेदार फिर से एक्टिव हैं।

ऐसे में कंसाना की दावेदारी मुश्किलें आ सकती हैं।

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गिर्राज दंडोतिया का क्या ?

दिमनी विधानसभा सीट से उपचुनाव में गिर्राज दंडोतिया भी चुनाव हार गए थे।

सरकार ने इन्हें भी उर्जा विकास निगम का अध्यक्ष बना दिया है।

उपचुनाव में भी यहां कलह की बात सामने आई थी।

2023 के विधानसभा चुनाव में भी कई दावेदार हैं। ऐसे में गिर्राज दंडोतिया की राह में भी कई अड़चनें हैं।

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जसवंत जाटव पर भी मंडरा सकता है खतरा

वहीं, करैरा से विधायक रहे जसवंत जाटव भी उपचुनाव हार गए थे।

उन्हें पशुधन कुक्कुट निगम का अध्यक्ष बनाया गया है। इस बार इनकी राह भी आसान नहीं है।

इस सीट पर भी ओल्ड वर्सेज न्यू की स्थिति है।

पार्टी आलाकमान को फैसला करना है कि टिकट किसे देना हैं।

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रणवीर जाटव को भी मिला है इनाम

इसके साथ ही गोहद विधानसभा सीट से रणवीर जाटव भी चुनाव हार गए थे।

चुनाव हारने के बावजूद उन्हें हस्तशिल्प और हथकरघा विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया।

इनकी राह में भी कई रोड़े हैं। इनके भविष्य का फैसला आलाकमान को करना हैं।

वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया की स्थिति केंद्र में मजबूत है।

राजीव द्विवेदी,  अमर रिपब्लिक 


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